________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१ए)
नित्य सारीदियें॥॥ दान दया धर्म उपर राग, तेह साधे नर मुक्तिनो मार्ग ॥ वंदियें ॥॥ महिराज तणो सुत अति अनिराम, संघवी सां गण तेहy नाम ॥ वंदियें ॥ १० ॥ समकित सा र ने व्रत जस बार, पास पूजी करे सफल अवता र ॥ वंदियें ॥ ११ ॥ संघवी सांगणनो सुत वारु, धर्म श्राराधतो शक्तिज सारु ॥ वंदियें ॥ १२ ॥
षन कवि तस नाम कहावे, प्रह ऊठी गुण वी रना गावे ॥ वंदियें ॥ १३ ॥ समज्यो शास्त्र त णाज विचारो, समकितअ॒ व्रत पालतो बारो॥ वंदि यें ॥ १४ ॥ प्रह उठी पडिकमणुं करतो, बे आस एं व्रत ते अंगें धरतो॥ वंदियें ॥ १५॥ चनदे नियम संजारी संदे', वीरवचन रसे अंग मुक लेपुं ॥ वंदियें ॥ १६ ॥ नित्य दश देरां जिनतणां जूहारूं, अदत मूकी निज आतम तारूं ॥ वंदियें ॥ १७ ॥ श्रापम पाखी पोषधमांहिं, दिवस राति सजाय करं त्यांहिं ॥ वंदियें ॥ १७ ॥ वीर वचन सुणी मनमां नेटुं, प्रायें वनस्पति नवि चूटुं ॥ वंदि यें ॥ १५ ॥ मृषा अदत्त प्राय नहिं पाप,शील पाएं मनवयकाय आप ॥ वंदियें ॥ २० ॥ पाप परिग्रहें
For Private and Personal Use Only