Book Title: Hitshikshano Ras
Author(s): Rushabhdas Shravak
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 196
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४) ते नर मागे निदा हो ॥ ज० ॥ १३ ॥ १६३१ ॥ ॥ ढाल ॥ चोपाईनी देशी ॥ ॥शीख एक देऊ सुण वली, एक दिन कहे तर्ज नी गांगुली ॥ ढुं सघलामांहे बुं वडी, लिखित चित्र कामिक रूयडी ॥१॥ मध्यम कहे हुँ महो टी खरी, जे सघला मांहे उंची करी ॥ संकेत चाप टी वालं तांत, मध्ये बेसुं हुं ऊंची पांत ॥२॥थ नामिका कहे जूतुं एह, तुं लोको शिर टाकर देह ॥ नंदावर्त पूजाने काम, हुं श्रावु शुजकारज गम ॥३॥ वास वारि बेहुश्मंतरु, बीजां काम घणां पण करुं ॥ कहे कनिष्ठा बेठी रहे, सर्व काम कांश तुं नवि लहे ॥४॥ सूक्ष्म काममां मुझने मान, करुं जाप खणुं हुं कान ॥ कष्टं लोही श्रावे काम, अनामिका बेठी रहे गम ॥ ५॥ तव बोली चारे श्रांगुली, श्याने वाद करो जो वली॥ श्रापण चारे बहेन्यो सार, अंगूगे खीज्यो तेणि वार ॥६॥ जूमी तमो मुफ घरनी नार, पुरुष विना शूनो संसार । नारी घणीयें न होये काज, पुरुष तणी सहु माने लाज ॥७॥ हुँ अंगूठगे नर अवतार, संघपतिने ति लक करनार ॥ तीर्थंकर मुफ धावे सही, राज्याभिषे For Private and Personal Use Only

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