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विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है । गोपिकाओं के साथ कृष्ण रासलीला करते हैं । राधा का इसमें कहीं नाम नहीं है । इससे स्पष्ट होता है कि कृष्णचरित्र में राधा को इस पुराण के रचना काल तक नहीं जोड़ा गया था राधा इस पुराण के रचनाकाल की कल्पना है ।
श्रीमदभागवत के कृष्ण को परम ब्रह्म भी बताया गया है । इसके सत्रहवें और उन्नीसवें अध्याय में गोपों और गायों को दावानल से बचाने का उल्लेख है । इक्कीसवें अध्याय में वेणुगीत है । बावीसवें अध्याय में चीरहरण लीला का वर्णन है । गीता और भागवत दोनों ने श्रीकृष्ण को ज्ञान, शान्ति, बल, ऐश्वर्य, वीर्य और तेज-इन छह गुणों से विशिष्ट माना हैं ।
श्रीमद् भागवत में कृष्ण के रूपों का चित्रण इस प्रकार हुआ है । -
१. अद्भुत-कर्मा असुर-संहारक कृष्ण, २. बालकृष्ण ३. गोपी बिहारी कृष्ण ४. राजनीतिवेत्ता, कूटनीति-विशारद श्रीकृष्ण ५. योगेश्वर श्रीकृष्ण ६. परब्रह्मस्वरूप श्रीकृष्ण
भागवत के द्वितीय स्कन्ध के सप्तम् अध्याय में कृष्ण और बलराम के अवतारों की ओर संकेत किया गया है । तृतीय अध्याय में अन्य लीलाओं का वर्णन है । दशम् स्कन्ध के पूर्वार्ध में श्रीकृष्ण का बालचरित्र तथा गोपी-विहार है । दशम स्कन्ध में लीलाओं का विशद् चित्रण हैं । एक वाक्य में कहा जाय तो श्रीमद्भागवत् में महाभारत, गीता आदि का समन्वय हुआ है। उसमें एक ओर महाभारत में कुरुक्षेत्र के युद्ध में पाण्डवों के सखा वीर कृष्ण का रूप तथा दूसरी ओर गीता के साधुओं के परित्राण तथा पापियों के विनाशक एवं धर्म की स्थापना कर निष्काम कर्मयोग का उपदेश देने वाले श्रीकृष्ण का रूप निहारने को मिलता है। कूर्म पुराण :
कूर्म पुराण के पूर्वार्ध में यदुवंश का वर्णन है । पच्चीसवें अध्याय में कृष्ण पुत्र प्राप्ति के लिए महादेव आदि की आराधना करते हैं । सत्ताईसवें अध्याय में साम्ब आदि कुमारों का वर्णन है । इस पुराण में श्रीकृष्ण का स्वधाम-गमन का भी विस्तृत वर्णन किया गया है । वामन पुराण :
वामन पुराण में केशी, सुर तथा कालनेमि के वध की कथा है । ब्रह्माण्ड पुराण : १. श्रीमद्भागवत : दशम स्कन्ध ८-४५, ३-१३, २४, २५
हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास • 14