Book Title: Hindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshva Prakashan

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Page 100
________________ २६. नेमिनाथ रास गौण रतनमुनि हिन्दी-१६६७ ई. २७. नेमनाथ रास७ गौण विजयदेव सूरि हिन्दी-१७६९ ई. २८. नेमिचन्द्रिकाट गौण मनरंगलाल हिन्दी-१८२३ ई. पल्लीवाल २९. कृष्ण की ऋद्धि गौण बुद्धमल - हिन्दी-१८४९ ई. ३०. प्रद्युम्न चरित गौण मन्नालाल हिन्दी-१८४४ ई. ३१. भगवान नेमिनाथ गौण मुनि चौथमल हिन्दी-१९४१ ई. और पुरुषोत्तम कृष्ण हिन्दी में रचित जैन कृष्ण काव्य कृतियों की काल क्रमानुसार सूची प्रस्तुत की गई है, तथा उपलब्ध कृतियों के विषय की प्रमुखता अथवा गौणता के आधार पर विस्तृत परिचय यहाँ दिया जा रहा है - कृति परिचय : (१) हरिवंश पुराण-२ प्रस्तुत कृति के रचयिता शालीवाहन हैं । उन्होंने जिनसेन कृत हरिवंश पुराण (संस्कृत) के आधार पर इसकी रचना की है । इसका उल्लेख कृति की प्रत्येक सन्धि के अन्त में इस प्रकार उपलब्ध है - इति श्री हरिवंश पुराणे संग्रहे भव्य समंगलकर्णे, आचार्य श्री जिनसेनविरचिते तस्योपदेशे श्री शालिवाहन विरचिते । - इस ग्रन्थ की रचना (सं. १६९५) ई. सन १६३८ में पूर्ण हुई थी । कवि ने स्वयं इसका उल्लेख किया 'संवत सोरहसे तहा भए, तापर पचानव गए। . माघ मास कृष्णापछि जानि, सोमवार सुमवार बरवानि ॥ ३/७८ ॥ २६. अप्रकाशित : प्रति उपलब्ध, विनयचन्द्र ज्ञान भण्डार, जयपुर । २७. अप्रकाशित : प्रति उपलब्ध, दि. जैन मंदिर, ठोलियान, जयपुर । २८. अप्रकाशित : प्रति उपलब्ध, दि. जैन मंदिर, बंड़ा तेरहपंथियों का, जयपुर । २९. अप्रकाशित : प्रति उपलब्ध, विनयचन्द्र ज्ञान भण्डार, जयपुर । ३०. अप्रकाशित : प्रति उपलब्ध, दि. जैन मंदिर, ठोलियान, जयपुर । ३१. प्रकाशित : प्रकाशक सिरेमलजी, नन्दलालजी, पीतोलिया, सिहोर, केन्ट । १- जैन कृष्ण स्वरूप - महावीर कोटिया कृतिपरिचय का आधार उक्त ग्रन्थ है। २- कवि शालीवाहन : (हस्तलिखित प्रति) उपलब्ध, आमेर शास्त्र भण्डार, जयपुर । 86 • हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वस्प-विकास

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