Book Title: Hindi Gujarati Dhatukosha
Author(s): Raghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________
पूर्वकार्य का अध्ययन
वेद, पाश, मुण्ड, मिश्र, etc. by the application of the affix णिचू. Besides these, there are a few roots formed by the application of the affix आय and ईय ( ईयडू ).
C
'भाष्यकार ने क्रियावाचक रूप के मूल शब्द धातु को 'क्रियावचनो धातुः' कहा है, यहाँ तक कि 'भाववचनो धातुः ' भी कहा है, 'धातु' क्रियात्मक गतिविधि का निर्देश करने वाला शब्द है. पाणिनि ने कहीं स्पष्ट रूप से इस शब्द की परिभाषा नहीं दी है परन्तु दस विभागों के अंतर्गत उन्होंने दशगणी नाम से धातुओं की विस्तृत सूची दी है, जिसमें लगभग 2200 मूल धातुओं का समावेश हुआ है, जो साधित धातुओं से भिन्न हैं. साधित धातुओं को दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है ( 1 ) धातुओं से निष्पन्न धातुएँ - धातुज धातवः ' तथा (2) संज्ञाओं से निष्पन्न धातुएँ - नाम - धातवः. ' धातुज धातुओं को तीन मुख्य उपविभागों में बाँटा जा सकता है : (अ) प्रेरक धातुएँ अथवा णिजन्त, (आ) इच्छावाचक धातुएँ अथवा सन्नन्त, (इ) पौनः पुन्यवाचक धातुएँ अथवा यङन्त और यङगन्त; जब कि ': प्रत्यय अथवा 'णिचू' प्रत्यय लगाकर सत्य, वेद, पाश, मुण्ड, मिश्र आदि संज्ञाओं से बनी धातुओं को क्यजन्त एवं प्रकीर्ण के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त आय तथा ई (ई ) प्रत्ययों से बनी कुछ धातुएँ भी मिलती हैं. "8
यकू
संस्कृत वैयाकरणों ने इन सभी धातुओं को परस्मैपदिन्, आत्मनेपदिन् तथा उभयपदिन् के रूप में विभाजित किया है. स्वर-व्यंजन ध्वनियों के प्रत्ययान्त भेदोपभेद के साथ जो वर्गीकरण किया गया है, उस वर्गीकरण में जो विश्लेषण - प्रद्धतियाँ प्रयुक्त हुई हैं उनकी वैज्ञानिकता से आधुनिक भाषाविज्ञानी प्रभावित हुए हैं.
पाणिनि ने ' धातु' शब्द अपने पुरोगामी वैयाकरणों से प्राप्त किया. 'निरुक्त' और 'प्रातिशाख्य ' कृतियों में इसकी चर्चा हुई है, जिसका निर्देश पहले हो चुका है. निरुक्तकार तथा शाकटायन तो सभी संज्ञाओं को भी धातुज मानते हैं.
कुछ विद्वानों ने धातुओं को छः श्रेणियों में वर्गीकृत किया है :
(1) परिपठिताः
भूवादयः आन्दोलयत्यादयः
(2) अपरिपठिताः
(3) परिपठितापरिपठिता: ( सूत्रपठिताः ) :
स्फुस्कम्भस्तम्भेत्यादयः
(4) प्रपयधातवः
(5) नामधातवः
,
सनादूयन्ताः
कण्डूवादयः
Jain Education International
(6) प्रत्ययनामधातवः
होडगल्भक्लीवप्रभृतयः
अंग्रेजी संज्ञा 'रूट' तथा संस्कृत संज्ञा 'धातु' को कुछ विद्वान समानार्थी मानकर चलते हैं. डा. सत्यकाम वर्मा ने भेद की रेखाएँ स्पष्ट की हैं. 'रूट' का अर्थ ' मूल शब्दमात्र ' है, 'धातुमात्र' नहीं. गणित की दृष्टि से इस इकाई को 'महत्तम समापवर्तक' और वैज्ञानिक दृष्टि से लघुतम योजक' ( स्मालेस्ट कांस्टीट्युएण्ट ) कहना चाहिए. डा. वर्मा कहते हैं कि 'धातु' वह छोटी से छोटी इकाई है, जिसका पुनः विभाजन
किसी भी रूप में
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org