Book Title: Hemsamiksha
Author(s): Madhusudan Modi
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust

Previous | Next

Page 7
________________ ॥ समर्पणम् ॥ लोकोपकारकरणैकविनिश्चयों विद्वद्वरैः प्रतिभया श्रुतपूतचित्तैः। निष्ठापितो विविधसुन्दरतालपात्रा. बद्धेषु बोधनिकरः खलु पुस्तकेषु ॥१॥ जातः स मानवकदाग्रहलुप्तकल्पः पाषण्डदम्भकलुषेऽर्थपरे युगेऽस्मिन् । तस्योद्धृति जनहिताय करिष्यमाणो ग्रन्थाभिरक्षणपरीक्षणयोजनाभिः ॥२॥ यः प्राकृतादिरचनासु पुरातनीषु ग्रन्थप्रदानविषमस्थलशोधनैर्माम् । प्रावेशयद्गुरुरिवाथ कृतिं ममैतां पुण्यात्मपुण्यविजयाय समर्पयामि ॥३॥ मधुसूदन मोदी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 400