Book Title: Hem Sangoshthi
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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. ७१ 9. दृश् = पेच्छ 8.4.181 9 . पेक्ख 12.18 (पेक्ख - अपभ्रंश
8.4.340, 419 आदि) 10. अस् = अच्छ 8.4.215 10. 12.19 11. भविष्यत् का प्रथम पुरुष | 11. करिस्सं 12.21
ए. व. का प्रत्यय - स्सं 8.3.169, 172 (यह प्रत्यय हालकी गाथासप्तशती
में प्रयुक्त; करिस्सं (पिशल 533) मागधी भाषा
हेमचन्द्राचार्य के प्राकृत व्याकरण में मागधी संबंधी 16 सूत्र हैं जबकि प्राकृत-प्रकाश में 17 सूत्र हैं। इन दोनों व्याकरण - ग्रन्थों में जो अन्तर है वह इस प्रकार है।
(i) प्राकृत-प्रकाश के अनुसार (11.13) पुं. अकारान्त शब्द में संबोधन एकवचन में - अ का - आ हो जाता है, पुलिशा । जबकि हेमचन्द्र के अनुसार सामान्य प्राकृत में (8.3.38)।
__ (ii) प्राकृत-प्रकाश के अनुसार कृ, मृ, गम् के भूतकृदन्त के रूप कडं, मडं, गडं बनते हैं (11.15)
हेमचन्द्र के अनुसार सामान्य प्राकृत मे - त = - ड (8.1.206 के अन्तर्गत) मडयं, वावडं मिलते हैं। कडं, गडं नहीं है । आर्ष के लिए सुकडं, दुक्कडं मिलते
हैं।
पैशाची भाषा
पैशाची भाषा के लिए हैमव्याकरण में 22 सूत्र हैं जबकि प्राकृत-प्रकाश में 14 सूत्र हैं।
(i) दोनों के अनुसार इस भाषा में मूर्धन्य णकार का दन्त्य नकार हो जाता है (हैम. 8.4.306 और प्रा. प्र. 10.5)। हेमचन्द्र के व्याकरण में जो उदाहरण हैं उनमें णकार वाला कोई शब्द नहीं है परन्तु प्राकृत-प्रकाश में (10.3) निर्झर शब्द के लिए णिच्छर (पाठान्तर - राचणकरो, राचाणिकरो) दिया गया है जो नियम के विरुद्ध प्रक्षिप्त शब्द हो ऐसा लगता है।
(ii) प्राकृत-प्रकाश में चूलिका पैशाची का उल्लेख नहीं है जबकि हेमचन्द्र के अनुसार पैशाची और चूलिका पैशाची दो अलग अलग भाषाएँ हैं ।
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