Book Title: Gyandipika arthat Jaindyot Author(s): Parvati Sati Publisher: Maherchand Lakshmandas View full book textPage 8
________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्धि शुद्धि १२ २१९ २२० आरोग्य सामाजिक पुरिसु वट्ठी अरोग्ग समायिक पुरिसो ૨૨૧ २२१ वट्टी is अट्ट अट्ट n م o on ر م شه or in २३५ arr न्नूणं मपुणं रावति मपुण राविति ६ इस इस वद्विय वडिय सुचित्त सचित्त इतने के इतने द्रव्य के विषय में भ्रम | विषय में सल्य । रूप सल्य आदिक सामग्री आदिक की सामग्री अपने आपने वा तनाजान करे न करे झूपी काय सपी ऐसी काय कि नहीं और नहीं देना और सुख साज मिल सूत्र विहार व्यवहार पड़ा सुचिता सचिता कहते तो फहते हो तो २४० २४७ More के २४८ २५० २५२ सुख मिले २५४ २०५ ૨૦૬ २५७ ર૭૨Page Navigation
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