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पृष्ठ पंक्ति अशुद्धि
शुद्धि
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आरोग्य सामाजिक पुरिसु वट्ठी
अरोग्ग समायिक पुरिसो
૨૨૧
२२१
वट्टी
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न्नूणं मपुणं रावति
मपुण राविति ६ इस
इस वद्विय
वडिय सुचित्त सचित्त इतने के इतने द्रव्य के विषय में भ्रम | विषय में सल्य । रूप सल्य
आदिक सामग्री आदिक की सामग्री अपने
आपने वा तनाजान करे न करे झूपी काय सपी ऐसी काय कि नहीं और नहीं देना और
सुख साज मिल
सूत्र विहार
व्यवहार
पड़ा सुचिता
सचिता कहते तो
फहते हो तो
२४०
२४७
More
के
२४८ २५०
२५२
सुख मिले
२५४ २०५
૨૦૬
२५७
ર૭૨