Book Title: Gyanchakshu Bhagwan Atma Author(s): Harilal Jain, Devendrakumar Jain Publisher: Tirthdham Mangalayatan View full book textPage 5
________________ (iv) पूज्य गुरुदेव श्री के मङ्गल प्रभावना उदय में सैकड़ों जिन मन्दिरों एवं कई भव्य सङ्कुलों का निर्माण हुआ है, जो उनके द्वारा प्रसारित भगवान महावीर के जीव मात्र को हितकारी आध्यात्मिक सन्देशों के व्यापक प्रचार-प्रसार में संलग्न है । तीर्थधाम मङ्गलायतन भी पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी के प्रभावना उदयरूपी वटवृक्ष की एक शाखा है । अत्यन्त अल्पकाल में इस तीर्थधाम ने न मात्र जैन, अपितु जैनेतर समाज के हृदय में भी अपना अमिट प्रभाव स्थापित किया है । सत्य तो यह है कि तीर्थधाम मङ्गलायतन पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी एवं पूज्य बहिन श्री चम्पाबेन के तत्त्वज्ञान का प्रभापुञ्ज ही है। सत्साहित्य का प्रकाशन भी तीर्थधाम मङ्गलायतन की कई कल्याणकारी योजनाओं में से एक है। इसी के फलस्वरूप प्रस्तुत ग्रन्थ 'ज्ञानचक्षु : भगवान आत्मा' प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रस्तुत प्रवचनों का गुजराती सङ्कलन ब्रह्मचारी हरिभाई, सोनगढ़ द्वारा किया गया है एवं इनका हिन्दी रूपान्तरण व सम्पादन कार्य श्री देवेन्द्रकुमार जैन (बिजौलियां - राज.) तीर्थधाम मङ्गलायतन द्वारा सम्पन्न किया गया है । ܢ इस ग्रन्थ के प्रकाशन में हमें प्रकाशनकर्ता के रूप में श्री ढेलाबाई चेरिटेबल ट्रस्ट, महावीर चौक, खैरागढ़, राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़ ) का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है। तदर्थ हम उनके आभारी हैं । सभी जीव निज अकारक - अवेदक ज्ञानस्वभाव के आश्रय से अनन्त सुखी हों - इसी भावना के साथ । पवन जैन श्री आदिनाथ - कुन्दकुन्द - कहान दिगम्बर जैन ट्रस्टPage Navigation
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