Book Title: Gyanchakshu Bhagwan Atma Author(s): Harilal Jain, Devendrakumar Jain Publisher: Tirthdham Mangalayatan View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय परम पूज्य भगवत् कुन्दकुन्दाचार्यदेव द्वारा रचित, जगत चक्षु परमागम समयसार की गाथा 320 की श्रीमद् भगवत् जयसेनाचार्य द्वारा रचित टीका पर हुए परम उपकारी स्वानुभूति विभूषित समयसार युग प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी के मङ्गल प्रवचन 'ज्ञानचक्षु : भगवान आत्मा' का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है। वर्तमान शताब्दी में दृष्टिगोचर दिगम्बर जिनधर्म की प्रभावना में पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी का अविस्मरणीय योगदान रहा है। पूज्यश्री ने स्थानकवासी श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय में जन्म लेकर, स्वयं बुद्ध की तरह न केवल सत्य का अनुसन्धान ही किया, अपितु उसे प्राप्त भी किया और प्रचारित भी किया। आज इसमें कोई मतभेद नहीं है कि यदि पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी का उदय नहीं हुआ होता तो दिगम्बर जैन समाज में आध्यात्मिक जागृति का नितान्त अभाव ही रहता । विक्रम सम्वत् 1978 की वह पावन घड़ी, जिस दिन पूज्य गुरुदेव श्री के करकमलों में शासन स्तम्भ श्रीमद् भगवत् कुन्दकुन्दाचार्यदेव द्वारा विरचित समयसार परमागम आया, जिसे प्राप्त कर उन्होंने क्या नहीं पाया ? क्या नहीं छोड़ा ? भगवान समयसार स्वरूप शुद्धात्मा को पाया और मिथ्यामताग्रह का विष छोड़ा। तभी से लगातार 45 वर्षों तक पूज्यश्री के द्वारा वीतरागी जिनशासन की जो अविस्मरणीय प्रभावना हुई, वह आज देश-विदेश में अपनी जड़ें जमा चुकी है। यद्यपि पूज्य गुरुदेव श्री आज सदेह उपस्थित नहीं हैं, तथापि उनकी वाणी कैसेट्स, सी.डी. एवं डी.वी.डी में अवतीर्ण होकर तथा सत्साहित्य के रूप में प्रकाशित होकर, इस पञ्चम काल के अन्त तक भव्यजीवों को मुक्तिमार्ग का बोध प्रदान करती रहेगी।Page Navigation
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