Book Title: Guru Vani Part 01
Author(s): Jambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
Publisher: Siddhi Bhuvan Manohar Jain Trust

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Page 28
________________ धर्म - जीवनशुद्धि गुरुवाणी-१ के घर पहुँचते है और सेठ को कहते हैं- 'सेठ ! मेरे पास एक बालक पढ़ने के लिए आया है, उसको तुम प्रतिदिन भोजन करवा दो तो मैं उसे पढ़ा सकता हूँ।' सेठ ने हाँ कही। कपिल वहाँ नियमित रूप से भोजन करने जाता है और प्रसन्नता पूर्वक रहता है। कपिल जब सेठ के यहाँ भोजन करने जाता है उस समय प्रतिदिन एक लड़की उसको भोजन करवाती है। निरन्तर परिचय बढ़ने से उन दोनो में काम-वासना भी जाग्रत हो जाती है और वह प्रतिदिन बढ़ती हुई पति-पत्नी के सम्बन्धों तक पहुँच जाती है। एक दिन कपिल जब भोजन करने के लिए पहुंचता है उस समय वह लड़की उदास नजर आती हैं। कपिल हठ पूर्वक उससे पूछता है कि तुम उदास क्यों हो? लड़की कहती हैहम दासियों के लिए केवल एक ही त्यौहार आता है उस समय हम सब लोग अच्छे कपड़े पहनते हैं, अच्छा खाते-पीते हैं और मौज मजा करते हैं। मेरे पास तो एक फूटी कौड़ी भी नहीं हैं, अब बताइए मै क्या करूँ? तब कपिल कहता है- 'मेरे पास भी एक फूटी कौड़ी नहीं है यदि तू कोई रास्ता बताए तो मै मदद कर सकता हूँ।' लड़की कहती है- 'यहाँ एक समृद्धिशाली राजा रहता है उस राजा के पास प्रातः काल में सबसे पहले पहुँचकर जो आशीर्वाद देता है उसको वह दो मासा सोना देता है।' कपिल घर जाकर सो जाता है किन्तु उसे चिंता के कारण नींद नहीं आती। मध्य रात्रि के समय वह उठता है और दौड़ने लगता है। कपिल के दिमाग में यही था कि मेरे पहले कोई आदमी राजा के पास नहीं पहुँच जाए, इसी भय से वह भाग रहा है। मध्य रात्रि के समय उसको भागते हुए देखकर चौकीदार आवाज देता हैंकौन भाग रहा है? किन्तु कपिल रुकता नहीं है। अन्त में वह पहरेदार दौड़कर उसे पकड़ लेता है और कैदखाने में डाल देता है। दूसरे दिन प्रात:काल कैदी के रूप में उसे राज्य सभा में खड़ा किया जाता है,

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