Book Title: Guru Vani Part 01
Author(s): Jambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
Publisher: Siddhi Bhuvan Manohar Jain Trust

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Page 43
________________ गुरुवाणी-१ शासन-महासद्भाग्य ऐसी तो असंख्य योनियों में यह जीव भटक-भटक कर आया है, अतः अत्यन्त कठिनाई से मिला हुआ यह मानव जन्म व्यर्थ में कैसे गंवाया जा सकता है? यह मानव जन्म ही ऐसा जन्म है जिसमें मनुष्य अपने हित को साधे तो अजर-अमर बन सकता है। इस प्रकार की सुविधा क्या किसी अन्य जन्म में है? कबूतर एकदम डरपोक पक्षी कहा जाता है। वह तनिक सी आवाज से डरकर दूर भाग जाता है। जबकि ठठेरों के यहाँ निवास करने वाला कबूतर प्रतिदिन हथौड़े की आवाज सुन-सुन कर ऐसा अभ्यस्त हो जाता है कि वह हथौड़े कि आवाज से डरता भी नहीं है। हम भी संसार के रंगीले वातावरण से ऐसे अभ्यस्त हो गये हैं कि हमारे ऊपर उपदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। मानव जाति का इतिहास . . . . ___एक सम्राट बहुत रंगीला था। वह विद्या और कला का प्रेमी भी था। उसने एक दिन विचार किया- मानव जाति का इतिहास लिखवाना चाहिए। ऐसा सोचकर उसने अपने राज्य के समस्त विद्वानों को कहा-मुझे मानव जाति का इतिहास लिखवाना है आप लोग इतिहास लिखें। इतिहास लेखन में आवश्यक समस्त सामग्री आपको प्रदान की जाएगी। यह सुनकर समस्त विद्वान बहुत प्रसन्न हुए। विद्वानों की एक समिति बनाई गई। भिन्न-भिन्न देशों के मानवजाति का इतिहास लिखने के लिए भिन्न-भिन्न पंडितों की समिति बनाई गई। इस इतिहास में गांव-गांव, नगर-नगर, ज्ञाति, कुटुम्ब आदि प्रत्येक का इतिहास लिखना था। अन्त में इतिहास लिखा गया। लिखित इतिहास की पुस्तकें नगर के बाहर सुरक्षित स्थान पर लाई गई। सम्राट कहता है- लाओ, वह इतिहास लाओ। विद्वान् कहते हैंहे सम्राट! लिखित इतिहास की पुस्तकें यहाँ नहीं लाई जा सकतीं, उनको लाने के लिए तो कई ऊंट गाड़ियाँ भेजनी पड़ेंगी। सम्राट कहता

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