Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan

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Page 135
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२६ शब्द ऊर्ध्वकेशी - ए ऊर्ध्वग:- ए ऊर्ध्वदन्तः - एओ उर्ध्वदेवः - अ । उ क्लीं ऊर्ध्वबीजम् - ऐ ऊर्ध्वमातृका - औ: ऊर्ध्वमुखा - ऊर्ध्वमुखी ओत -त ऊर्ध्वमुखम् -' (अं) ऊर्ध्वमूर्ति::-ऋ ऊर्ध्वरेताः - ए। गासह ऊर्ध्ववापी-न दु ऊर्ध्वोष्ट - एओ ऊर्मि:-वाव प्लूं ऊर्मिमाली - रूँ ऊर्मी-ब ॥ ऋ ॥ ऋप्रदान ऋक्य:-अ ऋक्षम् त्री -त्रों अर्थ ऋच्छम् - 12 www.kobatirth.org शब्द वर्णबीजकोष : ऋषिकुल्या-ल ऋषिसूदनः :-ऋ ऋषीश्वरः-ऊ ऋष्या-ऋ ॥ ए ॥ एकः -ओ। एककर्तरी-ग एककृत्--भ एकदन्तः-ऋ लृ गँ एकदन्ता-ऋ एकदृष्टक:- ए एक नेत्र - छा एक नेत्रान्त:-ज एक नेत्रेश्वर:-छ अर्थ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only शब्द एकपात्-ऋ । एङ एकपाद: - ऋ । छाञ । ठाड एकबुबुद:- (अं) एकमात्र:-अ औषधात्मिका- ओ एकमात्रा-ऊ एकरुद्र:- औ | ङ ॥ क ॥ कम् - जावा व कंसारातिः - अउ । क्लों कंसारि:- अ || क्लीं एकरूप :- च एकवाम: -छ ऋतम्-वाव एकशृङ्गः - अ । उ क्लीं कः - ए ऋतधामा-क्ली एका-ज ककुत्-लाव ऋद्धि: - ऋालु || खाढाल एकांघ्रि:- ल ककुद्गतः-लाव ऋद्धिदा-ए एकादशी - ए ऋद्धिराट्-ऋ ककुद्व्रजः-ल ककुक्ति: एकाम्र:- लु एकाम्रपीठिका - ल -क ऋपुः ऋ कङ्कणम् - गाव ऋभुक्षा: - इाल एतिलकः, एणाङ्क :- ऐं साद्राँ कङ्कली - एागासाह एलापुरनिवासिनी-ढ एलापूर:-ढ ॥ ऐ ॥ ऐन्दवम-ऊ ऐन्दवी-ई केन्द्रम्-ईर ऐरावत: - ऐ ऐश्वरी - उाढ ऐश्वर्यम् - ऐ अर्थ 11 BTT || ओङ्कारपीठग:-र औषधीशः - या । स । द्राँ ओष्ठ: - ए| औ ओष्ठनामा-ओ 11 377 11 औदार्यम्-क्षी ओरस:- ओ

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