Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan
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वर्णबीजकोषः
शब्द
अर्थ षण्मुख:-उऊाथापाट षष्टिहायन:-क्री षष्ठगोचरा-ख षष्ठी -उ षष्ठीशपुरवासिनी-व षोडशांशु:-लानौं षोडशात्मा-ॐ षोडशाचि:-लावों
॥स॥
शब्द अर्थ शब्द
अर्थ श्मशानम्-आ
श्रीश:-आउक्लिीं श्मशानवासिनी-क्री श्रीशा-र श्मश्रु:-हूं
श्रोशलवासिनी-र श्याममुखी-ऋ
श्रीहरिः-आउाक्लों श्यामा-ऋाल।की।ध्रील श्रति:-उाओ। (अं)।ॐ श्रद्धा-आउएख
श्रतिपथ:-ॐ श्रमः-घ
श्रतिबीजम्-ॐ धवः-उ
श्रेष्ठः-ईऋ श्रवण:-उ
श्रेष्ठा-ए। श्रवणा-म
श्राता-उ श्री:-आउाछार श्रोत्रम्-त श्रीकण्ठः-आए।गोशासाह श्वसन:-टायाय श्रीकर:-आउक्लिीं । श्वापद:-आ श्रीकरी-र
श्वासरूपिणी-च श्रीकान्तः-आउक्लिीं __ श्वेत:-षासालानौं श्रीगर्भ:-आउक्लिी श्वेतरथ:-सालौं श्रीगृहम्-श्री
श्वेतवाहन:-
ऐसादा श्रीधर:-आउालाओक्लिों श्वेता-:(अ)स
वर्ण-छ श्वेताक्ष:-स श्रीनिकेतन:-आउाक्लों
॥ष ॥ श्रीनिवासः-आउक्लिीं षट्कर्ण:-ओ श्रोपति:-आउक्लिीं षट्चक्र:-उ श्रीपुरपीठम्-क
षटतर्क:श्रीमान्-उक्लों षट्पदा-ओ श्रोवत्स:-आउक्लिी षड्दीर्घ:-आईऊँ. श्रीवत्सभृत-आउक्लिीं
ऐं।ौं।अः श्रीवत्सलान्छन:
षडभिज्ञः-घ
माउाक्ली षड़ण:-ॐ श्रीवराहः-आउक्लिीं षडानन:-ङाषा श्रीविद्यार
षण्डला-ष
संक्रन्दन:-इल संज्ञा-काङ संमोहनः-ल संयोगज:-क्ष संयोजक:-क्ष संवर्तनम्-ध्र संवत्तिका-श संस्थिनी-ङ संहारबीजम्-फट् संहारिणी-लाट संहारीसंहृतिः-(अं) सकला- ह्रीं सङ्कर्ण:-व सङ्ख्यकः-ङ सञ्जिनी-(अं) सत्-ऐ।औमादाय सती-डाद सत्यम-ओ।ॐ सत्यका-कामाक सत्यान्त:-ौ
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