Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 173
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ܕܪܵ܃ शुक्ला-लाधीं এরীলঙ্কা बन्द , अर्थ शब्द : अर्थ शब्द शिरोन्त्यगम्-स्वाहा शीतल:- एसाद शूर:-ढाणापामाव शिली-थाम शीतांशुः-ए। सादा शूर्पक:-गाग शिलोचयः-थाद शुक्रः-शास शूर्पकर्ण:-खागाक्रों शिव:-आजए। काग शुक्तिः-ट शूला-दाफट ङानापामाषासाहोल शुका-सालाबों शूलधरः-ए।गासाह शिवकीत्तन:-आउाक्लों शुक्रबीजम्बोस् शूलधात्री-ध शिवखेचरी-हस्खफ्रों शुक्ल:-लासा शूलिनी-ईलाऐ।ख शिवदर्शनम्-ग शूली-ए।नाजादासाहाक्रों शिवदा-ल शुचिः-लाऐछारावाशार शृङ्गम्-म्लों शिवदूती-ऋालु शुचिस्मिता-ल शृङ्गारी-क्रॉ शिवप्रणव:-हो शुद्धः-लाल ऋङ्गी-ताद शिवप्रसाद:-हौं शुद्धगामी-त ऋणि:-क्रों शिवप्रिया-लाह्रीं शुद्धतरुः-ल शेखर:-ई शिवबजरी-ह्रीं शुद्धबुखिप्रवर्तक:-ऐं शेम:-क्ष शिवशक्तिमयम्-हसों शुद्धि-त शेष:-आन शिवा-इउकालान शुद्धिमाता-औ शेषक:-य __टाढादाषाह्रीं शुभम्-शाशं शेषदर्शन:-औ शिवात्मक:-ध शुभा-एट शेषबीजम्शिवादि:-आ शुभांघ्रिः -ड शेषा-ख शिवेश:-(अं)ोल शुभ्रा-लाण शल:-द शिवोत्तमा-उ, शिवोत्तमेश:- शुभ्रांशु:-ऐ। सादाँ शैलशिविरम्-रूं शिवोत्तम:-इाचाच शुम्भमदिनी-ओ शैलेन्द्रजा-लु शिशुप्रियः-ङ शुष्कला-ज्री शैवम्-ई शिष्टम्-य शुष्मा-रावार शोचिष्केश:-। शिष्यः-फ शूकरः-णान शोभा-फाह शीघ्रम्-ऐ।य शूकरबीजम्-हूं शोषिणी-ओ शीघ्रपाणिा-य शूद्रः-कालाप शौक्रम्-ल शीतभानु:- ए साद्र शूद्रप्रणव:-ओं शौरि:-छाथाधान शीतमरीचि:-ए। सादा शून्यम्-'(अं)ोखाठाह शौर्यम्-उ शीतरश्मिा-ए। सादा बाराष्टसौं श्मरी-नमः For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180