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शुक्ला-लाधीं
এরীলঙ্কা बन्द , अर्थ शब्द : अर्थ शब्द शिरोन्त्यगम्-स्वाहा शीतल:-
एसाद शूर:-ढाणापामाव शिली-थाम
शीतांशुः-ए। सादा शूर्पक:-गाग शिलोचयः-थाद शुक्रः-शास
शूर्पकर्ण:-खागाक्रों शिव:-आजए। काग शुक्तिः-ट
शूला-दाफट ङानापामाषासाहोल शुका-सालाबों शूलधरः-ए।गासाह शिवकीत्तन:-आउाक्लों शुक्रबीजम्बोस्
शूलधात्री-ध शिवखेचरी-हस्खफ्रों शुक्ल:-लासा
शूलिनी-ईलाऐ।ख शिवदर्शनम्-ग
शूली-ए।नाजादासाहाक्रों शिवदा-ल
शुचिः-लाऐछारावाशार शृङ्गम्-म्लों शिवदूती-ऋालु शुचिस्मिता-ल शृङ्गारी-क्रॉ शिवप्रणव:-हो शुद्धः-लाल
ऋङ्गी-ताद शिवप्रसाद:-हौं शुद्धगामी-त
ऋणि:-क्रों शिवप्रिया-लाह्रीं शुद्धतरुः-ल
शेखर:-ई शिवबजरी-ह्रीं शुद्धबुखिप्रवर्तक:-ऐं शेम:-क्ष शिवशक्तिमयम्-हसों शुद्धि-त
शेष:-आन शिवा-इउकालान शुद्धिमाता-औ
शेषक:-य __टाढादाषाह्रीं शुभम्-शाशं
शेषदर्शन:-औ शिवात्मक:-ध शुभा-एट
शेषबीजम्शिवादि:-आ शुभांघ्रिः -ड
शेषा-ख शिवेश:-(अं)ोल शुभ्रा-लाण
शल:-द शिवोत्तमा-उ, शिवोत्तमेश:- शुभ्रांशु:-ऐ। सादाँ शैलशिविरम्-रूं शिवोत्तम:-इाचाच शुम्भमदिनी-ओ
शैलेन्द्रजा-लु शिशुप्रियः-ङ शुष्कला-ज्री
शैवम्-ई शिष्टम्-य शुष्मा-रावार
शोचिष्केश:-। शिष्यः-फ शूकरः-णान
शोभा-फाह शीघ्रम्-ऐ।य शूकरबीजम्-हूं
शोषिणी-ओ शीघ्रपाणिा-य शूद्रः-कालाप
शौक्रम्-ल शीतभानु:- ए साद्र शूद्रप्रणव:-ओं
शौरि:-छाथाधान शीतमरीचि:-ए। सादा शून्यम्-'(अं)ोखाठाह शौर्यम्-उ शीतरश्मिा-ए। सादा
बाराष्टसौं श्मरी-नमः
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