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शब्द
शनि :- छाताप शनिकुम्भ:- ब शफरी-प
शब्द :- य
शब्दब्रह्म-ॐ
शमना-ऊ
अर्थ
शम्पा
शम्बरारिः - इश्क | क्लीं
शम्भु :- ए|गधशसि । ह । हं
शम्भुद:-हं
शम्भुस्त्री - ए
शय:-ब
शय्यास्वर:-आ
शर्ः–फट्
शेरजम्मा - ङाणं
शरणार्तिभिदा-ए
शरत्-स! सो :
शरभी-इ
शरीराकर्षिणी -: ( अ )
शर्म - एसओ शर्मा-श | साशं सौः । हं शर्व - जाम
शर्वरीपतिः- पोराद्राँ
शर्वरीशः - ऐछ । स । द्राँ
शलमली - इ ई
शवबीजम् - द्र शश:- -(ai)
शशधरः - ऐ। छं । स । द्र
शशबिन्दुः- आ| उ । क्लीं शशाङ्कः- अव
शब्द
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afata कोषः
शशाङ्कधारिणी-ओ शशिनी - ऋ । ए| ऐश
शशिप्रभ:- म
अर्थ
शशिप्रिय:-फ
शशी - (अं) ||ठ| फस
शसीन:-ट] य] यँ
शस्तम - (अं)
शस्त्रम्-य | फट्
शस्त्रादिः - फट् शाकिनी - और स
शाङ्करी-ॠ
शाङ्कला-घ्रों
शाखा - जाह
शाखान्तराकृतिः-- ढ
शखिनीप्रिय:-न
शाखी - (अं)
शाखोक्ता-ज
शाण:- ह
शान्त:- ओ
शान्तिः - ३ | ई | उ | ऊ का ड
शान्तिकः-ओ
शान्तिकृत्-ल
शान्तिबीजम् - स्वाहा
शान्दुलः---व शान्त्यतीताकला-हू शाम्भवम् - रूँ
शारदा-ए
शार्ङ्गभृत् - आउ । क्लीं शार्ङ्ग-अ | उ ग | क्लीं शार्ङ्गश:-ग
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शब्द
शाम्भव:- ङ ण
शाम्भवी - अलवि
शालाक्षी-ऊ
शालिका-घ्रीं
शालिकी-घ्रीं
शालिगी :-ङ
शालिनी - णं
शाम्मली - इङ
शाश्वत :-ध
शास्ता-श
शिखण्डिका - वषट्
शिखण्डिनी -
शिखण्डी - क
शिखरम् - म्लों
शिखरी-द
शिखा-न
१६३
जथ
शिखाबीजम् - वषट शिखावान् - र| रँ
शिखिवाह: - व
शिखी - त |फ||लार शितिकण्ठ:- ए| गह
शिनी-उर
शिरसिज:-थ
शिरा - नमः
शिपिविष्ट:- ए । ग] सोह
शिर:- (अं) | क | हाहा
शिरोबीजम् - स्वाह
शिरोभ्रमः -घ शिरोमाला-ऋ
बिरोरुहः-क