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वर्णवीवकोषा
शब्द
अर्थ
वीरसन्ध:-ब
वीरा-ट वीरिणी-ढ वीरेश:-य वृणा-(अं) वृकः-न वृकोदरी-हं वृक्ष:-(अं)।:(अ:) वृत्तम-ठ वृत्रन:-श वृद्धिः -ऋ वृश्चिक:-छ वृषः-शाष वृषा-उाछ. वृषाकपि:-रार वृष्टि:वृष्ठिबीजम्-क्र वेदः-र वेदधारा-ॐ वेदमस्तक:-ॐ वेदमाता-इठ वेदमूत्ति:-ल वेदमूर्द्धा-ॐ वेदसंज्ञक:-व वेदादि-ॐॐ वेदाश्वः-ल वेधा:-काम वेश(ष)वती-स वेश्या-ॐानी.
शब्द अर्थ शब्द
अर्थ वैकुण्ठा-लाम
शक्तिः-आ।ई।ऋालाऐ। वैतालिक:-प्ले
(अं)।काखाक्लीं। वैद्युत:-ए, वैवस्वतान्तकः-क्रू
हसौराहसौं वैश्व:
शक्तिखेचरी-रू वैश्वानरः-राएँ
शक्तिप्रणवः-फ वैष्टरश्रवाः -ख
शक्तीश:-त वैष्णवी-उ।ऋऋऔर शक्त्याकर्षिणी-औ
साकलह्रीं शक्रः-इाल। (अं)।ल वैष्ण व:-आ
शङ्कर:-उाए।गाडाशासाह व्यक्तः-ल
शङ्का-सासौः व्यक्ता-(अं)
शंकु:-औॉय फ्रें व्यग्रा-ओ
शंकुभद्र:-य व्याकृतम्-ह
शङ्ख-श व्याघ्रपाद:-उड
शलभृत्-आउाक्लो व्यापिका-ल
शङ्खिनी-ए।घाणानाम व्यापिनी-ई।औ खापाल शची-ए व्याठि:-अ
शचीपतिः-इल व्यामोहद:-झ
शतक्रतुः-हाल व्याल:-द
शतघ्नी-घ्री व्योम-आ।उाला (अं)।ख। शतधामा-आउक्लिीं
. णाहाक्षा।हं शतधतिः-इाकामालाक रुयोमनामिका-द
शतपर्वनिवास:-कामाक व्योमवक्त्रा-ऊ
शतपवेश-लाबी व्योमरूपा-ऋ
शतमन्युः-हाल व्योमरूपिणी-उ
शतहदा-ष व्योमाकार:
शतानन्द:-कामाक व्योमातीता-ऋ
शतावर्तः-आउक्लिी व्योषम्-ह्रां ह्रीं- शतावर्ती-आउाक्लीं
॥श । शत्रुः-त :शक्तः -ल
शत्रुघ्न:-उ
वेषा-क
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