Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan

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Page 171
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्णवीवकोषा शब्द अर्थ वीरसन्ध:-ब वीरा-ट वीरिणी-ढ वीरेश:-य वृणा-(अं) वृकः-न वृकोदरी-हं वृक्ष:-(अं)।:(अ:) वृत्तम-ठ वृत्रन:-श वृद्धिः -ऋ वृश्चिक:-छ वृषः-शाष वृषा-उाछ. वृषाकपि:-रार वृष्टि:वृष्ठिबीजम्-क्र वेदः-र वेदधारा-ॐ वेदमस्तक:-ॐ वेदमाता-इठ वेदमूत्ति:-ल वेदमूर्द्धा-ॐ वेदसंज्ञक:-व वेदादि-ॐॐ वेदाश्वः-ल वेधा:-काम वेश(ष)वती-स वेश्या-ॐानी. शब्द अर्थ शब्द अर्थ वैकुण्ठा-लाम शक्तिः-आ।ई।ऋालाऐ। वैतालिक:-प्ले (अं)।काखाक्लीं। वैद्युत:-ए, वैवस्वतान्तकः-क्रू हसौराहसौं वैश्व: शक्तिखेचरी-रू वैश्वानरः-राएँ शक्तिप्रणवः-फ वैष्टरश्रवाः -ख शक्तीश:-त वैष्णवी-उ।ऋऋऔर शक्त्याकर्षिणी-औ साकलह्रीं शक्रः-इाल। (अं)।ल वैष्ण व:-आ शङ्कर:-उाए।गाडाशासाह व्यक्तः-ल शङ्का-सासौः व्यक्ता-(अं) शंकु:-औॉय फ्रें व्यग्रा-ओ शंकुभद्र:-य व्याकृतम्-ह शङ्ख-श व्याघ्रपाद:-उड शलभृत्-आउाक्लो व्यापिका-ल शङ्खिनी-ए।घाणानाम व्यापिनी-ई।औ खापाल शची-ए व्याठि:-अ शचीपतिः-इल व्यामोहद:-झ शतक्रतुः-हाल व्याल:-द शतघ्नी-घ्री व्योम-आ।उाला (अं)।ख। शतधामा-आउक्लिीं . णाहाक्षा।हं शतधतिः-इाकामालाक रुयोमनामिका-द शतपर्वनिवास:-कामाक व्योमवक्त्रा-ऊ शतपवेश-लाबी व्योमरूपा-ऋ शतमन्युः-हाल व्योमरूपिणी-उ शतहदा-ष व्योमाकार: शतानन्द:-कामाक व्योमातीता-ऋ शतावर्तः-आउक्लिी व्योषम्-ह्रां ह्रीं- शतावर्ती-आउाक्लीं ॥श । शत्रुः-त :शक्तः -ल शत्रुघ्न:-उ वेषा-क For Private and Personal Use Only

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