Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan

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Page 175
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ शब्द अर्थ सत्वात्मिका-(अं) सदनम-वाव सदा-ठ सदागतिः-टायाय सदानन्दः-कामक सदायोगी-आउक्लों सदाशिव:-गापाव. फों स्फ्रों सद्यान्त:-ङ सद्योजातेश:-ओ सनद-कामाकँ सनन्द:-स सनहा-साधी सनातन:-आउावली सनाद:-(अं) सन्ध्या-झोटोश सध्यानटी-ए।गासाह सम्ध्याराम:-कामक सन्नति-(अं)निमः सन्मना:सपरः-ह सजिह्वः-रार सप्ततुरगः-छ सप्तमात्र:-ॐ सप्ताचिः-रार सप्ताश्व:-म सप्तिकः-छ सफरी-फ समवर्तीसमस्ता -ह्रीं वर्णबीजकोषः शब्द अर्थ समा-लाचाछ सर्वगः-गाङ रामाश्वरा-ल सर्वगति:-क्ष समासनम्-टंठंठाठः सर्वजम्भिणी-ज समीर:-टाढायाय सवज्ञ:-ए।गासाह समीरण:-टाढायाय सर्वतर्कविजिता-ट समुद्र:-रुव . सर्वतोमुखम्-वाव समुद्रजा-काश्री सर्वतोमुखी-बार समुद्रनवतात:-ए।७।। सर्वदाहक:-प सादा सर्वदीत:-द समुद्रसुभगा सर्वदेहाश्रयः-ह सम्पत्तिबीजम् नमः सर्वपाचकः-ण सम्पूर्णमण्डला-औ सर्वपीठेश्वरी-ठ सम्बलम्-वावं सर्वप्रियः-त सम्मूढा-:(म:) सर्वप्रियतमः-च सरः-वाब सर्ववर्गान्त:-क्ष सरम-वाव सर्ववर्णान्त:-क्ष सरसी-उ सर्ववागीश्वरी-च सरस्वती-आकाखाच सर्वबीजक:-सौः नासाऐ सर्वभावनी-ज सरस्वान्-रु. सर्वभुजमध्यम-छ सरित्पतिः-1 सर्वमङ्गला-आऔस्वों सरिदाम्पति:-ह सर्वमन्त्रेश्वरी-ङ सरिद्वरा-ल सर्वमित्रम्-ट सरिलम्-वावं सर्वयोनिक:-स सरोजी-काम। सर्व रक्षिता-घ सरोरुहनिवासिनी-श्री सर्वरञ्जिनी-ब सर्प:-थाद सर्वला-घ सर्पाकार:-द सर्ववशङ्करीसर्व:-ए।गाटानासाह सर्वविद्येश्वरी-घ सर्वक्रमः-ब सर्वविद्राविणी-ग For Private and Personal Use Only

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