Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan

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Page 157
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४८ वर्णबीजकोषा अर्थ पुष्करी-क्रो पुष्टि:-इाई।उाऔ।च पुष्पम-ध पुष्पचाप:-ठ पुष्पधन्वा-जांझानाच पुष्पपूरः-ब पूज्यवंश:-व पूतक्रतु:-इल पूतनारी-आउावली पूतना-ताल पूरणम्-ब पूर्णगिरि:-ऋ पूर्णचन्द्र:-ठ पूर्णमण्डला-औ पूर्णवान्-ऐ पूर्णा-(अं)::(अ:) पूर्णिमा-(अं) पूर्णोदरी-अ पूर्व:-काक पूर्वदिकपति-इल पूर्वबाहुक:-श पूर्वफल्गुनी-छ पूषण:-उ पूषा-आइओमास पूतना-थ पृषणी-ऋ पृतनाषाट्-इल पृथिवी-उालालँ पृथुः-ग पृथुशेखरा-द शब्द अर्थ पृथ्वी-टालाक्षल पृषताम्पति:-टायाय पृषदश्व:-टायायं पृष्ठगतः-ब पृष्ठपुच्छकः-त पृष्ठवंश:-ब पोण्डवणं:-ऋ पेटकी-क्री पेटल:-क्रॉ प्रकम्पन-टायाय प्रकाश:प्रकाशक:-क प्रकाशन:-र प्रकाशिनी-न प्रकृति:-:()।रास प्रचण्ड:-उखाझाप प्रचण्डक:-प प्रचेता:प्रजा-गाघ प्रजापति:-कामा प्रजेश:-ऊ प्रज्ञा-षाॐ प्रणवादियुक-अ प्रणवादि:-अ प्रण्या -प प्रतिपन्न:-अ प्रतिरञ्जनरूपिणी-(अं) प्रतिष्ठा-आ। उघ प्रतिष्ठाकला-ह्रीं प्रतिष्ठितः-ऋ शब्द अर्थ प्रत्यङ्गिरा-आछोम् प्रथमा-अ प्रथमान्त:-आ प्रदिष्ट:-ट प्रदीप्त:प्रद्युम्न:-इक) (अं) आं क्लीं प्रध्वसन:-ओ प्रना-गाचाछाटायास प्रपञ्चरूपा-अ प्रभञ्जन:-टाठापाय।यं प्रभाकर:-आ प्रभु:-आउकामाको क्लीं ।ॐ प्रमत्त:-म प्रमथवासिनी-ए प्रमथाधिप:-ए।गासाह प्रमर्दनः-ए प्रमाणम्-म प्रमोद:-टाठ प्रयाग:-फ प्रलम्बुषा-र प्रलयः-ध्रुम प्रलयक्षयः-ध्रु प्रलयाग्नि-नाफ प्रशस्तिका-ह्रीं प्रसाद:-हाहों प्रसूतिः -ध प्रसूनम्-ध प्रसूनः-ध For Private and Personal Use Only

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