Book Title: Dictionaries Tantrashastra
Author(s): Ramkumar Rai
Publisher: Prachya Prakashan

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्णबीजकोषः अर्थ दक्षिणहस्तग:-श दक्षिणांशग:-र दक्षिणाकाली-ठ दक्षिणांगुलिमूलग:-घ दक्षिणांगुल्यग्रः-ङ दक्षिणीदक्षिणोख:-झ दण्ड:-(अं)।नमः दण्डन:-द दण्डविधायक:-ढ दण्डिनी-ख दण्डी -(अं)थि दण्डीश:-थ दण्डोदरी-ल दण्डय:-(अं) दनुजः-ल दनुजप्रभुः-लू दनुजातीश:-ख दन्तः -द दन्तनामा-ॐ दस्तान्त:-ऐ दस्ताबल:-क्रौं दन्तिका-घ वर्ण-घ दन्तिशोषविभेदन:-क्रों दन्ती-क्रा दन्तुरः-दान दमा-द दमुना-रार दया-ऋजाद शब्द अर्थ शब्द अथ दर्दुर:-म दिवानाथ:-क दर्प:-हूं दिवौका-क्ष दर्पक:-इकाक्लीं दीन:-द दर्शक:-ओ दीनद:-ध दर्शनम्-धाच दीपिका-उकाऋाए दर्शविपत्-पोछासाद्रों दीप्त:-म दशमो-ल दीप्ता-र दशाश्व:-ऐसिद्रिा दीप्ति:-लाम दहन:-नारगर दीर्घ:-आ।ई। (अं)न दाक्षायणी-उाद दीर्घघोरणा-उऊ दात्री-द दीर्घजिह्वा-लान दानम्-णादार दीर्घतनुच्छद:-हूं दानवेज्य:-व्रोम् दीर्घद्रोणा-न दान्त:-घाध दीर्घनासावती-ओ दामोदरः-आउक्लिीं दीर्घप्रणव:-औम् दारक:-ड दीर्घबाहुः-छाम दारद:-रूँ दीर्घबाहुकः-चाज दारुणा-(अं) दीर्घमारुत:-क्रो दाव:-रार दीर्घमुखी-ऋऋ दाशाह:-आउाक्लों दीर्घवक्त्रा-औ दाहः-शर दोघंबाहा-ज दिक-झ दीर्घसूः-भ दिगम्बर:-ए।खागासाह दीर्घा-अाइ।ठान दिगम्बरा-ओघि दीर्घायु:-ऊोक दिति:-छाचाल दीर्घास्यवृत्तक:-आ दिनकर:-म दोर्ची-आ दिनमणि:-म दोघेश:-ऊ दिनरूपा दुर्ग-ख दिवस्पति:-म दुर्गनिवासिनी-ओ दिवाकरः-ए।थाम दुर्गा-आऐग (अं)।खादोध For Private and Personal Use Only

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