Book Title: Devsen Acharya ki Krutiyo ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 389
________________ अब आगे महादेव (शंकर) के कार्यों और चारित्रिक विशेषताओं को बताते हुए आचार्य देवसेन स्वामी उनका निराकरण भी करते हैं। वे कहते हैं - यह कहा जाता है कि महादेव सभी जीवों सहित इस संसार को पलभर में नाश कर डालते हैं। यहाँ यह प्रश्न उठता है कि संसार नष्ट हो जाने पर वे स्वयं कहाँ ठहरे रहते हैं? समस्त संसार तो अन्धकारमय हो जाता होगा।' और दूसरी बात कहते हैं कि - कोई व्यक्ति एक छोटे से गाँव को जला देता है तो उसे महापापी कहा जाता है। यदि कोई गाय अथवा ब्राह्मण को मार देता है तो उसे ब्रह्महत्या करने वाला महापापी माना जाता है, फिर असंख्यात जीवों सहित सम्पूर्ण लोक का संहार कर डालने वाले महादेव तो महापापियों से बढ़कर महापापी होना चाहिये। यदि कोई यह कहे कि महादेव तो सबसे बड़े देव हैं इसलिये सम्पूर्ण लोक का नाश कर देने पर भी उनको पाप नहीं लगता है तो फिर यह कहना भी युक्त नहीं है, क्योंकि जब उन्होंने ब्रह्मा के मस्तक का गधे वाला मुख काटा था तो उनको ब्रह्महत्या का पाप क्यों लग गया था? उस ब्रह्महत्या के पाप का निवारण करने के लिये अपने गले में हड्डियों की माला, मुंडमाला धारण की एवं शरीर को धूलमय कर लिया था और मनुष्य के कपाल में भोजन करता हुआ सभी तीर्थों में भ्रमण करने लगा था। भ्रमण करते हुए महादेव पलाश नामक गाँव में एक बैल के पास पहुँचे जहाँ वह बैल भी अपने स्वामी एक ब्राह्मण की सींगों से हत्या करने के कारण ब्रह्महत्या का पापी था। महादेव ने उस बैल के पीछे-पीछे जाकर बनारस में गंगा के जल में प्रवेश किया तब दोनों ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो पाये जो कपाल हाथ में चिपक गया था वह भी गंगा के जल में गिर गई। अतः जो महादेव ब्रह्महत्या के पाप को दूर करने के लिये बैल को गुरु बनाते हैं? वे अन्य संसारी जीवों के पूर्व संचित पाप कर्मों को कैसे दूर कर सकते हैं। अर्थात् वे कभी भी दूर नहीं कर सकते हैं। जो अपने ही दु:खों को दूर करने में समर्थ नहीं है, वह ईश्वर कैसे हो सकता है? अतः जो एक सामान्य संसारी की तरह है, अपनी पत्नी को साथ रखता है, अर्द्धनग्न होकर पर्वतों में निवास करता हो, वह इस संसार का नाश कैसे कर सकता है? भा. सं. गा. 242 383 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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