Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh
Author(s): Rajhans Group of Industries
Publisher: Rajhans Group of Industries
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श्री समतिनाथ भगवान - कदम्बगीरी कारली
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कदम्बगिवि तीर्थ का इतिहास
। कदंबगिरि तीर्थ यानि तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय की ढूंक | यहां गत चौवीशी के संप्रति नामक जिनेश्वर के कदंब नामक गणधर एक करोड मुनिवरों के साथ सर्व कर्मोका क्षय करके मोक्ष में पधारे थे । इसी कारण से इस तीर्थ का नाम कंदबगिरि हुआ | तथा प्राचीनकाल से कदंबगणधर के चरणपादुका की देरी कदंबगिरि पर्वत के टोच पर शोभ रही है । इस तीर्थ की मुख्य टुंक में श्री आदीश्वर भगवान मूलनायक रुप से बिराजमान है | इस टुंक को शेठताराचंदजी जावालवाले की टुंक कही जाती है । और प्रभुजी का परिकर विशाल और बारीक कोतरणी से युक्त है | चित्त को आनंद, आल्हाद और शांतिरस का पान करानेवाले प्रभुजी को वंदन-पूजन करके आत्मा को पवित्र करना चाहिए |
oneha सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः"5
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