Book Title: Chari Palak Padyatra Sangh Author(s): Rajhans Group of Industries Publisher: Rajhans Group of Industries View full book textPage 6
________________ भगवान श्री समतीनाथ - तालध्वज गीरी yogyo ਬਣਾ ਕੇ ਵੰਨੇ ਨੇ तालध्वजगिरि श्री तालध्वज तीर्थेश - सत्यदेवाय भावतः । नमः सुमतिनाथाय विश्वशांति प्रदायिने ।। Jain Education International • जहाँ पर झूलते तोरण के समान उज्जवल - जिनगृह मंडलरुप अपूर्व हारमालाओं के दर्शन होते हैं, तथा दूर-दूर से ही यात्रिकों के मन को हरण करनेवाला, अनन्य श्रद्धा, अपूर्व भक्ति और नैसर्गिक सौन्दर्य की साक्षात् मूर्ति समान ऐसे तालध्वज तीर्थ को तीर्थाधिराज श्री शत्रुंजयतीर्थ का ही एक प्राचीन शिखर माना हुआ है । शत्रुंजय तीर्थ की तरह यह तालध्वजतीर्थ भी प्राचीन तीर्थ है। जिसमें मूलनायक श्री साचादेव सुमतिनाथ शोभ रहे है वे मकान की नींव से प्राप्त हुए है। तथा चौमुखजी की टुंक और अनेक छोटीबडी गुफाओं और भूगर्भ के अंदर भव्य इतिहास पडा हुआ है । For Personal & Private Use Only “सिद्धाचल गिरि नमः * गिरि नमो नमः” www.jainelibrary.org 4Page Navigation
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