Book Title: Chandraprabha Hemkaumudi
Author(s): Meghvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana
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१२० हठ
१२१ उठ रुठ लुट १२२ पिठ
१२३ शठ
१२४ शुठ
१२५ कुठु लठु
१२६ शुठु १२७ अठ रुठु
१२८ पुड्डु
१२९ मुड
१३० मडु
१३१ गड्डु १३२ शौड़ १३३ कौड़
१४८ ओट १४९ शोण १५० श्रोणू लोण १५१ पै १५२ चितै
चं. प्र. ५६
बलात्कारे
उपघाते हिंसासंक्लेशयोः
कैतवे च गतिप्रतिघाते
आलस्ये च शोषणे
गतौ
प्रमर्दने
खण्डने च
भूषायाम् वदनैकदेशे
४४१
गर्वें
सम्बन्धे
विहारे
१३४ मेड ब्रेडू म्लेड लोड लौड उन्मादे १३५ रोड रोड तौड अनादरे १३६ क्रीड १३७ तुड तूड जौड़ तोडने १३८ हुड हड हूड होडृ गतौ १३९ खोड १४० विड
प्रतिघाते
आक्रोशे
१४१ अड
उद्यमे
१४२ लड
विलासे
१४३ कडु
१४४ कड्डु
१४५ अड्ड
१४६ चुड्ड
१४७ अण रण वण व्रण वण भण भ्रण
कण
भण धण ध्वण भ्रूण कण चण शब्दे
कार्कश्ये अभियोगे
हावकरणे
१५३ अत
१५४ च्यु
१५५ चुट्टै खुट्टै इच्युत क्षरणे
१५६ जु
भासने
बन्धने
निवासे
१५७ अतु
१५८ कित
१५९ ऋत
घृणागतिस्पद्वेषु
१६० कुथु पृथु लुथु मधु मन्थ मान्थ हिंसासंक्लेशयोः
१६१ खाड
१६२ बद
१६३ खत्
१६४ गद्
१६५ रद
१६६ पद निविदा १६७ अर्द
१६८ नर्द गर्द गर्द
१६९ तर्द
१७० कर्द
१७१ खर्द
१७२ अदु
सातत्यगमने आसेचने
१७३ इदु
१७४ बिदु
१७५ णिदु
१७६ डुनदु
१८१ स्कं
१८२ विधु १८३ विध
भक्षणे
स्थैर्ये
हिंसायाम् च
व्यक्तायाम् वाचि विलेखने अव्यक्ते शब्दे गतियाचनयोः
शब्दे हिंसायाम्
कुत्सिते शब्दे
दशने
बन्धने
परमैश्वर्ये
अवयवे
कुत्सायाम्
स्मृ
१७७ चदु
दीप्याल्हादनयोः चेष्टायाम्
१७८ ऋदु
१७९ कदु ऋदु लडु रोदनाह्वानयोः १८० क्लिदु
परिदेवने गतिशोषणयोः
गत्याम्
शास्त्रमाङ्गल्ययोः
अपनयने वर्णगत्योः
संघाते
१८४ शुन्ध
शुद्धौ
गतिप्रेरणश्लेषणेषु | १८५ स्तन धन ध्वन चन खन वन शब्दे संज्ञाने
१८६ वन बन
संभक्तौ

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