Book Title: Chandraprabha Hemkaumudi
Author(s): Meghvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

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Page 483
________________ ४७७ पृष्ठम् सूत्रम् | पृष्ठम् सूत्रम् : ३८७ क्षेपेऽपिजात्यो-ना ॥५॥४॥१२॥ . ३६७ गमे क्षान्तौ ॥३॥३॥५५॥ ४०७ क्षेमप्रिय-खाण् ॥५॥१॥१०॥ २८१ गमोऽनात्मने ॥४॥४॥५१॥ ४१६ क्षैशुषिपचो-वम् ॥४ारा७८॥ ३७० गमो वा ॥४॥३॥३७॥ ९५ गम्ययपः कर्माधारे ॥२।२७४॥ ९४ गम्यस्याप्ये ॥२।२।६२॥ १३१ खरखुरा-नस ७३१६०॥ १८१ खलादिभ्योलिन् ॥वारा२७|| १६६ गर्गादेर्यञ् ॥६॥४२॥ १२३ खार्या वा ॥७३।१०२॥ २२४ गर्भादप्राणिनि ॥७१११३९॥ ३५ खितिखीती- ॥१॥४॥३६॥ १३९ गवाश्वादिः ॥३२१११४४॥ १५३ खित्यनव्यया-श्व ॥३।२।१११॥ (१२४ गवि युक्ते २२।७४ ३९५ खेयमृषोये ॥५॥१॥३८॥ (१४७ गवियुधेः स्थिरस्थ ॥ २५॥ ४३७ रुणम् चाभीक्ष्ण्ये ॥५॥४॥४८॥ ४०२ गस्थकः ॥५॥६६॥ २६३ ख्याते दृश्ये ।।५।२८॥ | १९३ गहादिभ्यः ॥६॥३॥६॥ २६८ गहोर्जः ॥४१॥४०॥ ३११ गाः परोक्षायाम् ॥४॥२६॥ १९९ गच्छति पथिदूते ॥ २०॥ १८२ गाथिविद-नः ॥७॥४॥५४॥ ५७ गडदवादे-ये ॥१७॥ १७२ गान्धारिसाल्वेयाभ्याम् ६।१।११५ १३६ गड्वादिभ्यः ॥२२१५६॥ | २६८ गापास्थासादा-कः ॥४३९६॥ १७९ गणिकाया ण्यः ॥१७॥ |४०४ गाथोऽनुपसगाहक ॥५।११७४॥ ७. गतिः ॥१॥॥३६॥ १०९ गिरिनदी-द्वा ॥३॥९॥ १५५ गतिकारक-कौ ॥३।२।८५॥ १५७ गिरिनद्यादीनाम् ॥२२३२६८॥ ११८ गतिकन्य-षः ॥११॥४२॥ ८७ गतिवोधा-दाम् ।।२।।५॥ २४४ गुणाङ्गद्वेष्ठेयसू ॥७३॥९॥ ९५ गते गम्येऽध्व वा ॥रारा१०७॥ ९६ गुणाद-नवा ॥ २७॥ ९४ गते वाऽनाते ॥२रासद३॥ २३३ गुणादिभ्यो यः ॥२॥५३॥ २७९ गतौ सेधः ॥राश६१ ४ गुणोऽरेदोत् ॥३२॥२॥ ११९ गत्यर्थवदोऽच्छः ॥३॥१८॥ २८. गुपौधूपवि-यः॥२४॥ ४१५ गत्यर्थाकर्मक-जेः ॥५॥१॥११॥ २८८ गुपतिजो-सन् ॥२४॥५॥ ३५५ गत्यात्कुटिले ॥४॥११॥ | १२४ गुरावेकश्च ॥२।२।१२४॥ ४२५ गत्वरः॥५।२।७८॥ २७५ गुरुनाम्यादे-र्णोः ॥२४॥४८॥ ३७० गन्धनावक्षे-गे॥२७६॥ १६९ गृष्ट्यादेः॥६८४॥ २८४ गमहनजन-लक ॥३॥२॥४४॥ | ३३५ गृहणोऽपरोक्षायां दीर्घः॥४॥३४॥ ४१९ गमहनविदुल-वा ॥४४८३॥ ३५५ गृलुपसद-गर्थे ॥२४॥१२॥ ४१२ गमां की ॥४॥२८॥ ४०१ गेहे ग्रहः ॥५॥१॥५५॥ २८१ गमिषद्यमच्छः ।।४।१०६॥ २३२ गोः॥२५०॥

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