Book Title: Chandraprabha Hemkaumudi
Author(s): Meghvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

View full book text
Previous | Next

Page 513
________________ पृष्ठम् सूत्रम् {पृष्ठम् १९० सायंचिरंप्रा-यात् ॥६॥३८८॥ १७१ सुयानः सौवी-निम्॥६॥१॥१०॥ ११३ सायाहादयः ॥३॥१॥५३॥ ४०४ सुराशीधोः पिषः ।।५।११७५॥ १७४ सारवैश्वा-यम् ॥४॥३०॥ २५२ सुसर्वार्धाद्राष्ट्रस्य ॥४॥१५॥ ९७२ साल्वांशप्रत्यदिञ् ॥६॥११७॥ |१३४ सुसंख्यात् ॥ १५०॥ १७७ सास्य पौर्णमासी ॥६॥२।९८॥ २०३ सुलातादि-ति ॥ ४२॥ ४०१ साहिसातिवे-त् ॥५।११५९॥ . (१३२ सुहरिततृण-त् ॥७३२१४२॥ २३१ सिकताशर्करात् ॥२॥३५॥ |१३५ सुहहहन्-त्रे ॥२१५७॥ २७० सिचि परस्मै-ति ॥४॥४४॥ | ३११ सूतेः पञ्चम्याम् ॥४॥३१२॥ ३३१ सिचोलेः ॥४४८४॥ ४०६ सूत्राद्धारणे ॥५॥१९॥ ३५७ सिचो यङि ॥राश६०॥ ४१६ सूयत्याद्योदितः ॥ ४७॥ २६४ सिजद्यतन्याम् ॥२४॥५३॥ ७७ सूर्योगस्त्ययो-च ॥२४॥८९॥ ३०० सिजाशिषावात्मने ॥४॥३५॥ ७९ सूर्योदेवतायां वा रा४॥ २६७ सिज्विदोऽभुवः ॥४॥२२९२॥ ४२८ मुग्लहः प्रजनाक्षे ॥५॥३१॥ १ सिद्धिः -त् ॥॥२॥ ४२५ सृघस्यदो मरक्वा७३॥ ९१ सिद्धौ तृतीया ॥रारा४॥ ३८२ सृजः श्राद्ध-तथा ॥२४॥८४॥ २३० सिध्मादि-ग्भ्यः ॥७॥२॥२१॥ २६८ सृजिहशिस्कृ-वः ॥४७॥ ३४७ सिध्यतेरज्ञाने ॥४॥२॥११॥ ४२५ मुजीनशष्टवरप् ॥५।२७७॥ १९५ सिन्ध्वपकरात्काणौ ॥१०॥ ११६ सेट्नानिटा ॥३।१।१०६॥ २०० सिन्ध्वादेरञ् ॥२२१६॥ १३८ सेनाङ्गक्षुद्र-नाम् ॥३२१११३४॥ ११३ सिंहाथैः पूजायाम् ॥३२८९॥ ९७१ सेनान्तका-च ॥ ६१०२॥ २१५ सीतया संगते ॥१॥२७॥ २०३ सेनाया वा ॥६॥४॥४८॥ १२० सुः पूजायाम् ॥२॥४४॥ २०० सेनिवासादस्य ॥६।३।२१३॥ २३३ सुखादेः ॥७॥श६२॥ १९६ सोदर्यसमानोदयौं ॥६॥२११२॥ ३६३ सुखादेरनुभवे ॥३॥४॥३४॥ २८६ सोधिवा ॥२७॥ ४१. सुगदुर्गमाधारे ॥५॥११३२॥ ४१४ सोमात्सुगः ॥५॥१६॥ ३२४ सुगः स्यसनी ॥२२॥ २५ सोरु ॥२॥१॥७२॥ ४२१ सुग द्विषाहः-त्ये ॥वारा२६॥ ३६० सोवा लुक च ॥२४॥२७॥ २३ सुचो वा ॥२३१०॥ २०८ सोऽस्य ब्रह्म-तोः ॥६४११६॥ १२७ सुज्वार्थे सं-हिः ॥३॥१॥१९॥ २११ सोऽस्य भृति-शम् ॥६१६८॥ १८४ सुतंगमादेरि ॥६॥२८॥ | २२७ सोऽस्यमुख्यः ॥७॥१९०॥ १८४ सुपन्थ्मादेञ्जः ॥ ८॥ । १५ सौनवेतौ ॥१॥२॥३८॥ १३३ सुपूत्युत्सु णे ॥ ७१४४॥ १७१ सौयामायनि-वा ॥६॥१॥१०६॥ १३२ सुप्रातसुश्व-दम् ॥७३।१२९॥ ४४५ स्कन्दः स्यन्दः ॥४॥३॥३०॥ ४१५ सुयजोडूनि ॥५॥१७२॥ | ३३३ स्कन्नः ॥२३॥५५॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 511 512 513 514 515 516