Book Title: Chandraprabha Hemkaumudi
Author(s): Meghvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana
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४७६
पृष्ठम् सूत्रम्
सूत्रम् १०० क्तयोरसदाधारे ॥२२॥९॥ | ३५७ क्रीडोऽकूजने ॥३३३३३३॥ १३६ क्ताः॥२११५१॥
८० क्रीतात्करणादेः ॥२४॥४४॥ ७८ क्ताच नानि वा ॥२४॥२८॥ ९३ क्रुधदुहे-पः ॥२२॥२७॥ २४९ तात्तमबादे-न्ते ॥७३॥५६॥ ४० क्रुशस्तुन:-सि ॥११४९१॥ ८० क्तादल्पे ॥२४॥४५॥
| ३३३ ऋयादेः ॥३४७९॥ ३८ क्तादेशोऽषि ॥२॥१॥६१॥
२२३ क्लिन्नाल्ल-स्य ॥७॥१३०॥ ४३३ केटो गुरोर्व्यञ्जनात् ॥५।२१०६॥ १४१ क्लिबमन्ये-वा ॥३१।१२८॥ ११४ क्तेन ॥२१२॥
४६ क्लीवे ॥ ९॥ १११क्तेनासत्त्वे ॥३।७४॥
४३४ क्लीबे क्तः ॥५॥३॥१२३॥ ३९५ क्तेऽनिटश्चजोः -ति ॥४१॥११॥
६८ क्लीवे वा ॥२२॥१३॥ ४३५ क्त्वा ॥४॥२९॥
४०४ क्लेशादिभ्योऽयात् ॥५।९८१॥ ७० क्त्वातुमम् ॥२॥३५॥
२३५ ककुत्रात्रेह ॥१२२९३॥ ४१५ क्त्वातुमम्-वे ॥५॥१॥१३॥
४१५ कचित् ॥५॥१॥१७॥ ७७ क्रः पलितासितात् ॥२॥४॥३७॥
२४८ कचित्तुयात् ॥७॥४४॥ ३७८ क्यः शिति ॥३२४७॥
२४४ क्वचित्वार्थे ॥७॥३॥७॥ ३६० क्यडू ॥शथा२६॥
६३ कसुष्मती च ॥२१११०५॥ १२८ क्य मानिपित्-ते ॥३।२।५०॥
४१२ किम् ॥५॥१११४८॥
| ३८ क्विवृत्तेरसुधियस्तौ ॥२।१५८॥ ३६१ क्यो नया ॥२३॥४३॥ ३६० क्यनि ॥४३३११२॥
१९० केहामात्रतसस्त्यच् ॥६॥१६॥ २७१ क्ययङाशीयें ॥४३॥१०॥
१७० क्षत्रादियः ॥६॥॥॥
१२ क्षय्यजय्यौ शक्तौ ॥४॥२९॥ २८२ क्रमः॥४४॥५४॥
४२४ क्षिपरटः ॥५॥२॥६६॥ २८२ क्रमो दीर्घः परस्मै ॥४२॥१०॥
३८५ क्षिप्राशंसार्थ--म्यौ ॥५४॥३॥ ३७२ क्रमोऽनुपसर्गात् ॥३२४७॥
१७७ क्षीरादेयण ॥६।२।१४२॥ १२ क्रय्यः ऋयार्थे ॥४३३९१॥ ४१३ व्याव्या
३६१ क्षुत्तडूगर्धेऽशना-यम्॥४॥३॥११३॥ -दौ ॥५॥१११५१॥
१६७ क्षुद्राभ्य एरण वा ॥६१८०॥ ३६१ क्रियातिपत्तिः-महि ॥३॥३॥१६॥
४३६ क्षुधक्लिशकुष-सः ॥४॥३॥३२॥ १०३ क्रियामध्येऽध्व-च ॥रारा११०॥
४१७ क्षुधवसस्तेषाम् ॥४॥४॥४३॥ ४२७ क्रियायां क्रियार्था-न्ती ॥५॥३॥१३
१२२ क्षुनादीनाम् ।।२।३२९६॥ ४ क्रियाओं धातुः ॥३३॥ ४३१ क्षुश्रोः ॥५॥३७॥ ९. क्रियाविशेषणात् ॥२२।४१॥ ४३६ क्षेःक्षी ॥४॥३२८९॥ ३६६ क्रियाव्यतिहा-र्थे ॥२३॥२३॥ ४१६ क्षेः क्षी चाध्याथें ॥४७॥ १०१ क्रियाश्रयस्या-णम् ॥२२॥३०॥ २३५ क्षेपातिग्र-याः ॥२८५॥ ८५ क्रियाहेतुः कारकम् ॥२॥२१॥ ३८८ क्षेपेचवचयत्रे ॥५॥४॥१८॥

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