Book Title: Chandraprabha Hemkaumudi
Author(s): Meghvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

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Page 481
________________ पृष्ठम् सूत्रम् [पृष्ठम् सूत्रम् ४३१ किरो धान्ये ।।५।३७३॥ ४१४ कृगः सुपुण्य-त् ।।५।१।१६२।। ३२७ किरो लवने ॥४॥४.९३॥ ११९ कृगो नवा ॥२११०॥ ४०५ कुक्ष्यात्मोदरा-खिः ॥५॥१९॥ २९५ कृगो यि च ॥४RIGal १६५ कुञ्जादेओयन्यः ॥६॥४७॥ २९४ कृग तनादे रुः॥२४८३॥ ३२९ कुटादेर्डिद्वदणित् ॥४॥३॥१७॥ ३१८ कृतचूतनृत-वो ॥४॥४॥५०॥ २४८ कुटीशुण्डाद्रः॥४७॥ ९२ कृताद्यैः ॥२४॥ २४९ कुत्वा डुपः ॥७३२४९॥ २६५ कृतास्मरणा-क्षा ॥५२।११॥ २४७ कुत्सिताल्पाज्ञाते ॥७३॥३३॥ ।१११ कृति ॥३।११७७॥ १७२ कुन्त्यवन्तेः स्त्रियाम् ॥६।१।१२१॥ । ११७ कृत्यतुल्या-त्या ॥३॥१॥९१४॥ २९४ कुप्यभिद्यो-नि ॥५॥१॥३९॥ १०१ कृत्यस्य वा ॥२।२।८८॥ १२३ कुमहद्भ्यां वा ।।७३।१०८॥ |११४ कृयेनावश्यके ॥३३९॥ १९७ कुमार श्रमणादिना ॥७१११११५॥ ३०० कृपः श्वस्तन्याम् ॥३३॥४६॥ ४०५ कुमारशीर्षाणिन् ॥५।१८२॥ |२३२ कृपाहृदयादालः ॥७॥४२॥ २४५ कुमारीक्रीड-सोः ॥७३॥१६॥ २३९ कृभ्वस्तिभ्यां-च्विः ॥७१२६॥ १८५ कुमुदादे रिकः ॥६।२।९६॥ ३९५ कृवृषिमृजि-वा ॥५॥४२॥ १९२ कुरुयुगंधराद्वा ॥६॥३॥५३॥ १८५ कृशाश्वादेरीयण ॥दा२।९३॥ १७२ कुरोवा ।।६।११२२॥ २३० कृष्यादिभ्यो वलच् ॥रा२७॥ १७० कुर्वादेयः ॥६॥१॥१०॥ १३७ कृतः कीर्तिः ॥४।१२३॥ १८९ कुलकुक्षि-रे ॥६॥३॥१२॥ १७४ केकयमित्रयु-च ॥४१॥ १६९ कुलटाया वा ॥६॥७८॥ ३७९ केदारापण्यश्व ॥६॥१३॥ २०० कलत्थकोपान्त्यादण॥६४४॥ ७५ केवलमामक-जात् ।।२।४॥२९॥ १७५ कुलाख्यानाम् ॥रा४७९।। ३५ केवलस-रौः ॥१४॥२६॥ २२० कुलाजल्पे ॥१॥८६॥ २३२ केशाद्वः॥।४३॥ १७. कुलादीनः ॥६११९६॥ १८० केशाद्वा ॥१८॥ २२७ कुल्माषादम् ॥७११९५॥ १५४ कोः त्तक्करपुरुषे ॥३।२।१३०॥ १३३ कुम्भपद्यादिः ॥७॥१४९।। १५५ कोटर मिश्रक-नो ॥२७६। १०२ कुशलायु-याम् ।।२।२।९७॥ १९२ कोपान्त्याच्चान् ॥६२५६॥ २२२ कुशाग्रादीयः ॥७॥११६॥ १७३ कौण्डिन्याग-च ॥६॥१२७॥ ३८३ कुषिरलेयाप्ये-च ॥४/७४॥ ७५ कौरव्यमाण्डूकासुरेः ॥२४॥७॥ ४०९ कूलादुदुजोद्वहः ॥५।११२२॥ |१८६ कौशेयम् ॥६॥२॥३९॥ ४०८ कूलाभ्रकरी-षः॥५।१११०॥ ३५६ क्ङिति यि शय् ॥४॥२१०५॥ ४१. कृगः खनट्र-णे ॥५।१।१२९। ११६ तं नमादिभिन्नैः ॥३३१०॥ ९८ कृगः प्रतियत्ने ॥२॥२॥१२॥ ४१५ क्तक्तवतू ॥५॥१॥१७४ा ४३३ कृगः शवया ॥५॥३॥१०॥ १४१८ क्तयोरनुपसर्गस्थ शिरा९२॥

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