________________
रहे हैं। चूंकि यह मन्दिर अपने गौरवशाली अतीत से वर्तमान स्वरुप तक पहुँच रहा है एवं तीर्थ के लिए स्वर्णिम भविष्य की महती योजनाएँ भी है , अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि इन समस्त मान बिंदुओं को इंगित करने वाला कोई दस्तावेज हमारे पास हो। मेरा प्रयास इसी दिशा में है।
इस पुस्तक के नौवें संस्करण के लेखन एवं प्रकाशन में मुझे श्री सुरेन्द्रकुमार राजमलजी जैन (धार), श्री मनोहरलालजी पुराणिक (कुक्षी), श्री शान्तिलालजी सुराणा (इन्दौर), श्री कांतिलाल भंडारी (राजगढ़), हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ शिक्षक श्री टी.एस. चौहान, श्री सुनिल गर्ग (सरदारपुर) आदि विद्वज्जनों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ । पुस्तक की पांडुलिपि तैयार करने में मुझे श्री अमित जैन (कंचन वाफिक्स) का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।
इस कृति के प्रकाशन में मुझे जिन महानुभवों का प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग मिला मैं उनका अन्तःकरण से आभारी हूँ। में श्री शान्तिनाथजी जैन मन्दिर ट्रस्ट मण्डल भोपावर का विशेष रूप से आभारी हूँ जिन्होने मुझे इस पावन तीर्थ के इतिहास के अनुशोधन का कार्य सौंपा।
इस पुस्तक के बारे में आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ताकि हम अगले संस्करण को और बेहतर बना सके।
यशवन्त चौहान "राष्ट्रीय ओज कवि"
सम्पर्क : “सृजन" 144, गांधी मार्ग राजगढ़ (धार) म.प्र. 454 116 207296-235309