Book Title: Bhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Author(s): Yashwant Chauhan
Publisher: Shantinath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 18
________________ * सोलहवें तीर्थंकर * श्री शान्तिनाथजी महाप्रभु इस जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में कुरूदेश में हस्तिनापुर नाम का एक नगर था। यह नगर प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण तथा समृद्ध था। इस नगर में महाप्रतापी, शूरवीर, न्यायप्रिय इक्ष्वाकु वंश के महाराजा विश्वसेनजी का राज था । अचिरादेवी महाराज विश्वसेनजी की रानी थी, जो रूप लावण्य एवं सुलक्षणों से युक्त थी। वह सदगुणों से परिपूर्ण एवं शीलवती होने के कारण अपने राजवंश को सुशोभित करती थी । महाराजा एवं महारानी में प्रगाढ़ प्रीति थी । उन दोनो का जीवन अत्यंत सुखपूर्वक व्यतीत हो रहा था । उस समय अनुत्तर विमानों में मुख्य ऐसे सर्वार्थसिद्ध महाविमान में मेघरथजी का जीव अपनी तैंतीस सागरोपम की सुखमय आयु पूर्ण कर चुका था। वह वहां से भाद्रपक्ष कृष्णा सप्तमी को भरणी नक्षत्र में च्यव कर माहारानी अचिरादेवी की कुक्षि (कोंख) में उत्पन्न

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