Book Title: Bhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Author(s): Yashwant Chauhan
Publisher: Shantinath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 32
________________ का दिया गया फरमान आदि दर्शनीय है । रंग मण्डप में श्री शान्तिनाथ भगवान के 10 भव, श्रीपाल राजा के 10 भव, , श्रीपाल - चरित, नेमिनाथ भगवान की बारात का दृश्य, 16 मूर्तियों के चित्र, ब्राह्मी सुन्दरी के द्वारा बाहुबलीजी को उपदेश, नरक की यातनाओं के दृश्य आदि कथानकों का चित्रण है। इसके अतिरिक्त गरुड़ यक्ष, शान्तिनाथ भगवान के पगलियाजी, अंबाजी की खेत से प्राप्त श्वेतवर्णी दर्शनीय प्रतिमा एवं अन्य सुन्दर चित्र रंगमण्डप में स्थित है । C ऊपर की मन्जिल पर श्री पार्श्वनाथ भगवान के 10 भव तथा अन्य कई कथानकों का चित्रण है। साथ ही ऊपर नये हाल में पद्मावति माताजी के मस्तक पर श्री खामणा पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा है। साथ ही हाल में सहस्त्रफणा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा है जिसकी प्रतिष्ठा श्री पुष्पसेन पानाचंदजी जवेरी परिवार, सुरत वाले हाल मुकाम मुम्बई द्वारा की गई। आगे हाल में शंखेश्वर पार्श्वनाथ शत्रुंजयावतार श्री आदेश्वर वादा, श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ केआईल पेंट से बने भव्य चित्र हैं। सुरत निवासी श्री गेलाभाई रतनचंद नें यात्रियों के विश्राम हेतु एक बगीया बनवाकर भेंट की । मन्दिर का शिखर भी उनकी मदद से बना । गुजरात के अन्य भाइयों ने तीर्थ जीर्णोद्धार का कार्य आगे बढ़ाया। उन्होने पेढ़ी का नया भवन बनवाया, शिखर के पास ही दूसरी मन्जिल बनाई गई जिसमे पद्मादेवी के मस्तक पर स्थित खामणा पार्श्वनाथ की श्यामवर्णी प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है। यह प्रतिमा पूज्य आचार्य धर्मसूरीश्वरजी की प्रेरणा से बड़ौवा से प्राप्त हुई थी । चन्दा प्रभुजी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा पूज्य विजय सागरजी एवं क्षमा सागरजी की निश्रा में तत्कालीन व्यवस्थापक बागमलजी प्रेमचन्दजी के द्वारा हुई । इसके साथ ही पोष विदि दशमी को पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक उत्सव भी आयोजित होने लगा । इस मन्दिर पर ध्वजा भी चढ़ाई जाती है । यह तीर्थ स्थल अत्यन्त प्राचीन होने के साथ वैभवशाली भी है, एवं मालवांचल का गौरव है । 20

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