Book Title: Bhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Author(s): Yashwant Chauhan
Publisher: Shantinath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 50
________________ * तीर्थ एवं प्रतिमा का प्रभाव भोपावर तीर्थ स्थल की महिमा अनंत है । इस तीर्थ स्थल पर अनेक ऐसी घटनाएँ हुई हैं, जो इस तीर्थ एवं भगवान शान्तिनाथजी -की दिव्य प्रतिमा के प्रभाव को परिलक्षित करती हैं। हम ऐसी ही कुछ घटनाओं का उल्लेख यहाँ पर कर रहे हैं। संवत 1972 भादव महीने में मूलनायक भगवान श्री शान्तिनाथजी के मूल गर्भ गृह में चार दिन तक 15 डिब्बों के लगभग दूध निकला जिसे यहाँ के कर्मचारियों, व्यवस्थापक एवं हजारों नर-नारियों ने प्रत्यक्ष देखा । संवत 1990 के आसौज माह में मूलनायक श्री शान्तिनाथजी के पाँव में एक सर्प आकर लिपटकर बैठ जाता था । जब पुजारी प्रक्षाल करने आता था तो उसके करबद्ध विनय करने पर सर्प उसी a वहां से निकलकर आगे मणिभद्रजी के यहाँ लिपटकर बैठ जाता था । उस स्थान पर पुनः विनती करने पर सर्प देवता अदृश्य जाते थे | यह अद्भूत चमत्कार लगभग एक माह तक लगातार 1 चलता रहा । संवत 2026 के ज्येष्ठ माह में मलाड़ मुम्बई वाले सेठ भाग्यशाली देवचन्द भाई 600 व्यक्ति का संघ लेकर सम्मेतशिखरजी से भोपावर करीब 10 बजे पधारे। कुछ यात्री पूजा कर रहे थे कि अकस्मात दोपहर 12 बजे भगवान के मस्तक पर अमृत झरने लगा। पूजन करने वालो ने बार-बार अंगलुणा करने पर भी अमी झरना बंद नहीं हुआ बाद में संघ के यात्री वहीं ठहरे एवं भक्ति-भावना करते रहे । संवत 2030 भादवा सुदी 15, बुधवार को भगवान के चरण में केसरिया पानी घुटनो तक भर जाता था, उसे पूरा साफ करने पर अगले दिन पुनः पानी भर जाना किसी आलौकिक शक्ति का ही परिणाम हो सकता है। रात्रि में कभी-कभी मन्दिर में, मन्दिर मंगल होने के बाद भी घुँघरूओं की आवाज सुनाई देती है। तब ऐसा प्रतीत 38

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