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होता है मानो कोई भक्ति भावना कर रहा हो। इस तीर्थ पर कभीकभी माग्यशालियों को सफेद सर्प दिखाई देता है तब ऐसा लगता है, मानो अधिष्ठायक देव प्रत्यक्ष रूप से वर्शन दे रहे हों।
तीर्थ यात्रा पर आई एक महिला की सोने की अDठी गुम हो गई थी, भगवान से प्रार्थना करने पर वह अगूंठी उसके सामने ही पड़ी मिली। दिनांक 16-12-76 पोष विवी 10 को एक जैनेटर भाई श्री ठोबले बाबू की घड़ी गुम जाना और वापस मिल जाना अद्भुत चमत्कार है। - पूर्व संक्षिप्त इतिहास के लेखक श्री शान्तिलालजी सुराणा 16-9-79 को इन्दौर से भोपावर के लिए रवाना हुए। करीब दो बजे ये लोग सरदारपुर पहुँचे ही थे कि यहां मूसलाधार वर्षाप्रारंभ हो गई थी जिससे माही नदी का पूल जलमय हो गया तथा पूल पर कमर तक पानी था एवं पानी का बहाव अत्यंत तीव्र था किन्तु उन्होने प्रभु का स्मरण करते हुए पूल सुरक्षित रूप से पार किया। - सन् 1983 के जनवरी माह में दो यात्री बस अहमदाबाद से भोपावर आई। यात्री लोगों ने बहुत थुम-धाम से भगवान शान्तिनाथजी की पूजा की, भक्ति के प्रभाव से दोपहर में प्रभु के मूल गर्भ-गृह में करीब दो घंटे तक प्रभु के मस्तक पर अमृत झरने लगा । गर्भ गृह में घुटने-घुटने तक जल भर गया 30 चमत्कार अनेक लोगों ने देखे।
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थपखा
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