Book Title: Bhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Author(s): Yashwant Chauhan
Publisher: Shantinath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 28
________________ ही मूर्ति के अंगोपांठा, खंडित मूर्तियाँ, परिकर देव-देवियों की मूर्तियाँ से जो की अत्यंत विशिष्ट है, निकली । जिनमें से कई मूर्तियाँ जो साबूत थी, अन्य गाँवों में जहां मन्दिर नहीं थे वहां दर्शन-पूजन हेतु दे दी गई। जीर्णोद्धार के समय नया रंगा मंडप आदि बनाने हेतु जब नींव खोदी गई तो खोदने पर विशाल पुराने शिखर का अंश (जो लाल पत्थर से बना हुआ है ) निकला, उसका अंत लेने के लिए उसकी और खुदाई की गई तो वह बहुत विशाल होने से तथा उसके ऊपर सरकारी किले की दीवार होने से आगे खोद नहीं पाए । उसको वापस भर दिया तथा उसी शिखर पर नया शिखर बनवाया । मन्दिर के पुराने शिखर का कुछ हिस्सा जानकारी हेतु मन्दिर की परिक्रमा में तीर्थ यात्रियों के दर्शनार्थ खुला रखा है। जिस पर पत्थर का एक टुकड़ा रखा है, इसे उठाकर पूराने शिखर का अंश श्रद्धालु देख सकते है। इससे स्पष्ट है कि मन्दिर अत्यंत प्राचीन है। OM WANQUILAWA श्री अंबिका माता (16)

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