Book Title: Bhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Author(s): Yashwant Chauhan
Publisher: Shantinath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 23
________________ महापुरुषों ने प्रभु-प्रतिमाओं को स्थापित कर वेवविमान सदृश्य जिनालयों को बनाकर तीर्थ भूमि को जन्म दिया, जिसके दर्शन मात्र से समस्त जीवों की आत्माएं पवित्र हो जाती हैं। यही कारण है कि शास्त्रकारों ने कहा है ___“तीर्यते अनेन इति तीर्थ" अर्थात जो आत्मा को तार दे उसी का नाम तीर्थ है। यह भारत भूमि ऋषियों, मुनियों एवं तपस्वियों की तपोभूमि रही है। हमारे तीर्थ स्थल न केवल हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक है, बल्कि आत्मा की शुद्धि के केन्द्र भी है। चेतना के एकीकृत विकास के पूर्व से ही यहां तीर्थ स्थलों का अस्तित्व था। - दीर्थों का भाव एवं महत्व अति विशिष्ट है। प्रभु की प्रतिमा के स्पर्श मात्र से अन्तर्मन के महासागर की लहरें नृत्य करने लगती है, इस पावन भारतभूमिपरऐसे अनेकटीर्थस्थल हैं। इन तीर्थस्थलोंमें भोपावर जैन तीर्थ स्थल अत्यन्त प्राचीन, कलात्मक एवं वैभवशाली है । जहां तीर्थ के मूलनायक भगवान शान्तिनाथजी की अनुपम एवं अद्वितीय प्रतिमाहै।इसऐतिहासिकजैन तीर्थपर श्रीकृष्ण, बलरामजीतथा अनेक साधु-संतो की चरणरज विद्यमान है। निःसंदेह तीर्थोद्धार के बाद यह तीर्थ सम्पूर्ण भारत वर्ष में जिन शासन के गौरख में अभिवृद्धि करेगा।

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