Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi
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________________ भविष्यदत्तचरित्रम् प्रथमोऽविकार स्मरस्येव रतिस्तस्य, प्रियाऽऽसीत् प्रियसुन्दरी / / प्रीतिवत् प्रीतिपात्रं च, परा तिलकसुन्दरी // 20 // बुद्धया ज्येष्ठीभवंस्तत्र, श्रेष्ठी धनपतिः पुरे। कान्त्या क्षान्त्या सदा लीनः, पुण्यनैपुण्यवानभूत् // 21 // वणिग्वरः परस्तत्र, हरिहरिबलः कुले / तस्य प्रिया प्रियालक्ष्मी, सुरूपा शीलशालिनी // 22 // कमलश्रीस्तयोः पुत्री, सर्वाङ्गसुभगाऽभवत् / यूनां मनः कुरङ्गाणां, वागुरेव लसद्गुणा // 23 // हरेगृहं धनपतिः, श्रेष्ठयन्येद्युः समागतः। राजकार्येण केनाऽपि, स सन्माननिविष्टवान् // 24 // प्रेक्षां चक्रे पयोजाक्षी, तां सुतां कलशस्तनीम् / श्रेष्ठो तेनाऽनुरक्तोऽस्यां, प्राक्सम्बन्धादजायत // 25 // व्यवहारिमुखात्तस्यास्तातमभ्यर्च्य सादरं / उपयेमे महोत्साहात्तां कन्यां बहुलोत्सवैः // 26 // रेमे तया समं भोगैः, सा भोगैर्विविधैः पतिः / दिवस्पतिरिवेन्द्राण्या, शर्वाण्या वा महेश्वरः // 27 // तस्याश्चातर्यसम्भोगैः, प्रयोगैर्वचसां पियैः। रञ्जितात्मा मनाग भर्ता, न सेहे विरहं रहः // 28 // अशनैर्वसनैर्गन्धैः, प्रबन्धैरनुयोजनैः / अनुकूलयतिस्मैना, स्मितास्यां स्नेहसुद्धये // 29 // एवं दृढतरस्नेहाभोगेर्भुजानयोः सुखम् / कियानपि व्यतीयाय, समयः प्रमदाञ्चितः // 30 // पीत्या सक्ताऽनुरक्ता सा, भूता श्रीजिनशासने / कमलश्रीर्मनःखेदं, दधौ गर्भाऽनवाप्तितः // 31 // विवाहितास्तया साई, समाना वयसाऽपि च / प्रसूता हि स्त्रियः पुत्रान् , नाऽयाऽप्यस्याः समर्मता // 32 // इस्यमाना वयस्याभि-रेवं दैवानुभावतः / सा नत्वाऽर्हतमन्येयुः, पप्रच्छ मुनिपुङ्गवम् // 33 // XXXXCXEEEEEEEEEEEXXXX

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