Book Title: Bhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Author(s): Jawaharlal Aacharya
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 5
________________ श्री जवाहर विद्यापीठ, भीनासर की स्थापना हुई। संस्था जवाहर-साहित्य को लागत मूल्य पर जन-जन को सुलभ करा रही है और पण्डित शोभाचन्द्रजी भारिल्ल के सम्पादकत्व में सेठजी ने 33 जवाहर किरणावलियों का प्रकाशन कर एक उल्लेखनीय कार्य किया है। बाद में संस्था की स्वर्णजयन्ती के पावन अवसर पर श्री बालचन्दजी सेठिया व श्री खेमचन्दजी छल्लाणी के अथक प्रयासों से किरणावलियों की संख्या बढ़ाकर 53 कर दी गई। आज यह सैट प्रायः बिक जाने पर श्री जवाहर विद्यापीठ में यह निर्णय किया गया कि किरणावलियों को नया रूप दिया जावे। इसके लिए संस्था के सहमंत्री श्री तोलाराम बोथरा ने परिश्रम करके विषय–अनुसार कई किरणावलियों को एक साथ समाहित किया और पुनः सभी किरणावलियों को 32 किरणों में प्रकाशित करने का निर्णय किया गया। ज्योतिर्धर श्री जवाहराचार्यजी म.सा. के साहित्य के प्रचार-प्रसार में जवाहर विद्यापीठ, भीनासर की पहल को सार्थक और भारत तथा विश्वव्यापी बनाने में श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन संघ, बीकानेर की महती भूमिका रही। संघ ने अपने राष्ट्रव्यापी प्रभावी संगठन और कार्यकर्ताओं के बल पर जवाहर किरणावलियों के प्रचार-प्रसार और विक्रय-प्रबन्धन में अप्रतिम योगदान प्रदान किया है। आज संघ के प्रयासों से यह जीवन-निर्माणकारी साहित्य जैन-जैनेतर ही नहीं, अपितु विश्वधरोहर बन चुका है। संघ के इस योगदान के प्रति हम आभारी हैं। धर्मनिष्ठ, सुश्राविका श्रीमती राजकुंवर बाई मालू धर्मपत्नी स्व. डालचन्दजी मालू द्वारा आरम्भ में समस्त जवाहर-साहित्य-प्रकाशन के लिए 60,000 रु. एक साथ प्रदान किये गये थे जिससे पूर्व में लगभग सभी किरणावलियाँ उनके सौजन्य से प्रकाशित की गई थीं। सत्साहित्य-प्रकाशन के लिए बहिनश्री की अनन्य निष्ठा चिरस्मरणीय रहेगी। प्रस्तुत किरणावली का पिछला संस्करण श्रीमान् शांतिलालजी साण्ड, बैंगलोर एवं श्रीमती मंजूला बेन, बड़ोदरा के सौजन्य से प्रकाशित किया गया और प्रस्तुत किरण 30 (भगवती सूत्र व्याख्यान भाग 5 एवं 6) के अर्थ-सहयोगी श्रीमती छगनीदेवी दस्साणी हैं। संस्था सभी अर्थ–सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती है। निवेदक चम्पालाल डागा अध्यक्ष सुमतिलाल बांठिया मंत्री

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