Book Title: Bhagavati Jod 07
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 420
________________ २३. जे राशि प्रते चउक्के करी, अपहारे करि अपहरतां अपहार समय ते राशि नां, दोय हुवे त कोइ छेड़े एक प्रयोगे हो लाल । कहिये कांइ दावरजुम्म कलिओगे हो लाल ।। सेतं दावरजुम्म कलिओगे ।। १२ ।। २४. जे राशि प्रतै उक्के करी, अपहारे करि अपहतां अपहार समय से राशि नां एक हवे त कहिये ais कलियोगे - जुम्मे हो लाल ॥ सेकसि ॥ १३॥ २५. जे राशि प्रतै चउक्के करी, अपहारे करि अपहरतां काइह तीन सुयोगे हो लाल । अपहार समय से राशि नां, एक हुने त कहिये कां कलिओगे-योगे हो लाल ।। से तं कलिओग-तेओगे || १४ || कांइ छेहड़े च्यार सुगम्मे हो । २६. जे राशि प्रतै चउक्के करी, अपहारे करि अपहरतां छेड़े दोय सुगम्मं हो लाल । अपहार समय से राशि नां एक हवे त कहिये काइ कलिओगडापरजुम्मं हो लाल ।। से से कलि-दादरम् ||१५|| २७. जे राशि चक्के करी, अपहारे करि अपहतां his छेड़े एक सुयोगे हो लाल । अपहार समय पिण राशि नां, एक हवे तर कहिये कां कलिओग-कलिओगे हो लाल || से तं कलिओग- कलिओगे ॥१६॥ २८. तिण अर्थे करि गोयमा ! यावत ही कलियोगजकविओोग लगे कहिबाई हो लाल । हिव एकेंद्रिय आश्रयी पूछे गोयम गणधर "कां सांभलजी चित ल्याई हो लाल ।। (क) एकेन्द्रिय महायुग्मों में उपपात आदि की प्ररूपणा २९. जुम्मकडजुम्म एकेंद्रिया, प्रभु ! किहां थकी ऊपजे स्यूं नारकी थी आख्यातं हो लाल ? ग्यारम प्रथम उद्देशे छै जिम उत्पल उद्देशके कांइ आख्यूं तिम उपपातं हो लाल ।। ३० हे प्रभुजी ! ते जीवड़ा एक समय करि कितरा, कांह ऊपजे छे ते प्राणी हो लाल ? जिन भावं सोलं तथा कांड संख तथा असंख्याता, वा अनंत ऊपजे आणी हो लाल ।। ४०२ भगवती जोड ३१. हे भगवंत ! ते जीवड़ा समय-समय अपहरतां, कां कि काल अपहरिय हो लाल ? एह प्रश्न पूछतां जिन भाखे सुण गोयम ! तसु उत्तर इम उच्चरियै हो लाल ।। Jain Education International २३. जे सी करणं अवहारेणं अहीरमाने एमपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया दायरमा सेन्तं दावम्मलियो १२ । २४. जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कनियोगात्तं कलि १२ । २५. जे शसी जनहारे अहीरमा तिपज्जबसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कवियोगा, मेत्तं कवियोग १४ । २६. जे रासी उक्कणं अग्रहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, तं कलियोमदावरमे १५ । २७. जेणं रासी चक्कणं अवहारेण अवहीरमाणे एमपज्जवसिए जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगकलिओगे १६ ।। २८. से तेणट्ठेणं जाव कलिओगकलिओगे | २९. जुम्म गिदिया वज्जति - किं नेरइएहितो ? (११२) वहा उपवाओ। ( स. २५०२) For Private & Personal Use Only भते ! को उब जहा उप्पलुद्देसए (श. ३५।३) ३०. ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उवविज्जति ? गोयमा ! सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्र्ज्जति । (श. ३५/४ ) ३१. ते णं भंते! जीवा समए समए पुच्छा । गोयमा ! www.jainelibrary.org

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