Book Title: Bhagavati Jod 07
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 455
________________ ६०। चालीसमा शतक नै विषे सन्नी पंचेंद्रिय महायुग्म नां २१ अन्तर शतकएवं ८१ । इम सर्व महायुग्म नां ८१ अन्तर शतक जाणवा । ६३. च्यार सय ने पिच्याणूमी ए आखी, महायुग्म शत ढाल । भिक्षु भारीमाल ऋषिराम प्रसादे, 'जय जश' मंगलमाल ॥ चालीसमों शतक अर्थ पकी संपूर्ण ॥४०॥ गीतक धन्य १. संज्ञी जु पंचेंद्रिय विषे महायुग्म वर्णन युक्त ही । इकवीस अन्तर शतक युत चालीसमों शत व्यक्त ही ॥ २. तसु जोड़ घर मन को अति सारल्य युत रचना करी । कविता रु बनिता सरलता संयुक्त ई सह मन हरी ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only शि० ४०, हो० ४९५ ४३७ www.jainelibrary.org

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