Book Title: Bhagavati Jod 07
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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एकचत्त्वारिंशत्तम शतक
ढाल : ४९६
१. चालीसम शत आखियो, महायुग्म अधिकार ।
अथ शत इकतालीस में, राशीजुम्म उदार ।। राशियुग्म के प्रकार २. राशियुग्म प्रभ ! केतला? जिन कहै च्यार सूजोग ।
राशीजुम्मा दाखिया, कडजुम्म जाव कलियोग ।। ३. युगल वाचक छ जुम्म रव, पिण इहां नहीं छै एह ।
राशि 'रव करी विशेषिय, राशि रूप जुम्म एह ।। ४. राशि रूप छै युग्म ए. पिण द्वितीय रूप इहां नांहि ।
तिण कारण थी आखिया, राशीजुम्मा ताहि ।।
वा०-युग्म शब्द युगल वाचक पिण छ । इह कारण थकी एह इहां राशि शब्दे करी विशेषिय । तिवारै राशि रूप युग्म, पिण द्वितीय रूप युग्म नहीं इति राशियुग्म ।
२. कति णं भंते ! रासीजुम्मा पण्णत्ता?
गोयमा ! चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, तं जहाकडजुम्मे जाव कलियोगे।
(श. ४११)
वा०-'रासीजुम्म' त्ति युग्मशब्दो युगलवाचकोऽप्यस्त्यतोऽसाविह राशिशब्देन विशेष्यते ततो राशिरूपाणि युग्मानि न तु द्वितयरूपाणीति राशियुग्मानि,
(व. प. ९७८) ५. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-चत्तारि
रासीजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा-कडजुम्मे जाव कलियोगे?
६. गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं
अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, सेत्तं रासीजुम्मकडजुम्मे । ७. एवं जाव जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं
एगपज्जवसिए, सेत्तं रासीजुम्मकलियोगे।
५. किण अर्थे प्रभ ! आखिया, रासीजुम्मा च्यार। यावत कलियोगे लगे, आखो जी जगतार?
*रासीयुग्म शतक जिन आखियो । (ध्रुपदं) ६. जिन कहै जेह राशि छै तेहन,.
चिहुं अपहारे करि अवगम्मो जी। अपहरतां थकां च्यार छेहड़े हुवै, ते राशियुग्मकडजुम्मो जी।। ७. इम यावत जेह राशि छ तेहने,
चिहुं अपहारे करि सुप्रयोगो जी। अपहरतां थकां एक छेहड़े हुवै, ते राशियुग्मकलियोगो जी ।। ८. ते तिण अर्थे करि हे गोयमा ! जाव कल्योज कहीज जी। नारकि आदि तणीं पूछा हिवै, वारू अर्थ लहीज जी ।।
राशियुग्मकृतयुग्मज २४ दण्डकों में उपपात आदि की प्ररूपणा ९. राशियुग्मकृतयुग्मज नारकी,
प्रभु ! किहां थकी उपजतो जी ? ऊपजवो जिम पन्नवण नै विषे, छठे पद व्युत्क्रतो जी। * लय : केकई रे कुकला केलवे
८. से तेणट्टेणं जाव कलियोगे।
(श. ४१।२)
९. रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति? उववाओ जहा वक्कंतीए । (प. ६७०-८०)।
(श. ४१६३)
श० ४१, उ० १, ढा० ४९६ ४४१
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