________________
ज्ञातृक-क्षत्रिय और कुण्डग्राम "शोभै दक्षिण दिश गुणमाल, महाविदेह देशरसाल । ताके मध्य नाभिवत् जान, कुण्डलपुर नगरी सुख खान ॥" ___ जातक अथवा ज्ञात क्षत्रियों का नाम भगवान महावीर के कारण असर है। यही वह महत्वशाली क्षत्रिय राजवंश था, जिसने भारत को ही नहीं दुनिया को एक महान् सुधारक और अद्वितीय विचारक महापुरुष भेट किया। किन्हीं दिगम्बर जैन शास्त्रों में जातक क्षत्रियों को हरिवंश से समद्भूत लिखा है । वह अपभ्रंश प्राकृत भाषा मे 'नाथवंश' के नाम से उल्लेखित हुआ हैर और श्वेताम्बरीय आगमग्रन्थों मे उसका प्राकृतरूप 'णाय'
और 'णात' मिलता है३ । बौद्धग्रन्थों मे भ० महावीर के पितकुल की अपेक्षा ही उन्हे 'निगंठ नातपुत्त' (निर्गन्थ ज्ञात पुत्र) कहा गया है । ४ मनु ने मल्ल, मल्ल, लिच्छवि, खस, द्रविड़
आदि क्षत्रियों के साथ नाट अथवा नात ( ज्ञात) क्षत्रियों को ब्रात्य लिखा है। ४ वह ठीक है, क्योंकि जात क्षत्रिय प्राचीन १. बृहद जैन शब्दार्णव, भा० १ पृ० ७ २. षट् खंडागम सूत्र-धवलाटीका ( कारना) भा० पृ० ११२,
तिलोय-परणति, धनंजयनाममाला श्लोक ११६ ३. मझिमनिकाय, दीघनिकाय, ४ मनु० १०॥२२