Book Title: Bhagavana Mahavira
Author(s): Jain Parishad Publishing House Delhi
Publisher: Jain Parishad Publishing House Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 370
________________ ( ३५२ ) * रोल्हीडकनगर में धरण यक्ष का मन्दिर था । वे० शास्त्र बताते हैं कि महावीरजी का समवशरण यहाँ आया था । * वर्धमानपुर – में भ० महावीर ने राज्ञी अंज के पूर्वभवो का वर्णन किया था । I * वाणिज्य ग्राम - वैशाली के पास एक समृद्धिशाली व्यापारिक मडी थी । श्वे० शास्त्र बताते हैं कि भ० महावीर के भक्त आनन्द गाथापति प्रमुख कोट्याधीश गृहस्थ यहीं के रहने वाले थे । विसाखा - सम्भवत. अयोध्या का प्राचीन नाम है । परन्तु कोई लखनऊ को विसाखा बताते है । कहते हैं, भगवान् का समवशरण यहाँ हुआ था । I ॐ वीतभयनगर - सिन्धु- सौवीर देश की राजधानी थी। यहाॅ के राजा उदायनको भगवान् ने मुनि दीक्षा दी थी। उनका समवशरण यहाँ आया था । वीर भूमि - बंगाल प्रदेश का एक जिला है । प्राचीन राढ़ देश का एक भाग है- भ० महावीर यहाँ विचरे थे | वैशाली – मुनफ्फरपुर जिले का बसाढ़ नामक स्थान है । - यह विदेह देश की राजधानी थी । भ० महावीर की ननिहाल चहाँ ही थी । उपरान्त यह जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था । २ शत्रु ंजय—जैनियों का प्रमुख तीर्थं सौराष्ट्र में है । भ० महावीर की मूर्तियां यहाँ भी हैं । श्रावस्ती - कौशल देश की राजधानी थी । गोडा जिले का प० वि० श्री० प्रा० स्मा० पृ० ११३ ११६, १. २. पूर्व० ० २३ २१

Loading...

Page Navigation
1 ... 368 369 370 371 372 373 374 375