Book Title: Bhagavana Mahavira
Author(s): Jain Parishad Publishing House Delhi
Publisher: Jain Parishad Publishing House Delhi

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Page 372
________________ ( ३५४ ) श्री महावीरजी चॉदनगांव ही हैं । इनके अतिरिक्त भ० महावीर की जन्मभूमि और तपोभूमि का अनुमान मुजफ्फरपुर जिले के वसाढ़ ग्राम में किया जाता है । केवलज्ञानभूमि झिरिया कही जाती है। इन कल्याणक तीर्थों का भी उद्धार होना आवश्यक है । भारतीय पुरातत्व में जिनमूर्तियों और उनकी मुद्रा श्रति प्राचीनकाल से उपलब्ध हो रही हैं। मोइन जो-दड़ो और हरप्पा के पुरातत्व इसके साक्षी हैं, परन्तु हमारा उद्देश्य भ० महावीर विषयक पुरातत्व का निर्देश करना है । अतएव भ० महावीर की उपलब्ध सर्व प्राचीन मूर्ति का अन्वेषण परने पर हमें कंकाली टीला मथुरा अथवा उस्मानाबाद जिले का तेरपुर स्थान स्मरण होता है। कंकाली टीला से प्राप्त बोद्वस्तूप-पट भ० पार्श्वनाथ के समयका अनुमान किया गया है, जिस पर पाच तीर्थङ्करों की मूर्तियाँ अति बताई गई हैं ।२ यह पांच तीर्थकर वह ही प्रतीत होते हैं जिन्होंने कौमारावस्था में दीक्षा धारण की थी और उनमें एक महावीर भी हैं । इस मूर्ति के अतिरिक्त तेरपुर की महावीर मूर्ति भी चतुर्थकाल की बताई जाती है अर्थात् वह सन् ईस्वी से पहले की निर्मित है । ३ उधर पटना स्टेशन के पास से मौर्यकालीन जिनप्रतिमा उपलब्ध है, ४ परन्तु वे खंडित हैं और उनके विषय में यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि वह किन तीर्थकर की प्रतिमा हैं - उनका महावीर मूर्ति होना सम्भव है । किन्तु कंकाली टीला से उपलब्ध महावीरजी की एक प्रतिमा १. भ०पा० की भूमिका देखो २. जैनऐ टीकरी, भा० १००२३ ३. करकण्ड घरिट ( कारंजा सोरीन ) की भूमिका देखो । ४. जैनऐ टीकरी, भा० प०१७ •

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