Book Title: Bhagavana Kundakundacharya Author(s): Bholanath Jain Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 5
________________ स्वर्गीय सेठ किसनदास पूनमचन्द कापडिया (सूरत) स्मारक ग्रंथमाला नं० ४ । हमने अपने पूज्य पिताजीके अंतसमय वीर सं० २४६० विक्रम सं० १९९० में २०००) इसलिये निकाले थे कि इस रकमको स्थायी रखकर उसकी आयमेंसे पूज्य पिताजीके स्मरणार्थ एक स्थायी ग्रन्थमाला निकालकर उसका सुलभ प्रचार किया जावे । इसप्रकार इस ग्रन्थमालाका प्रारंभ वीर सं० २४६२ में किया गया और इसकी ओरसे अबतक तीन निम्न ग्रन्थ प्रगट होकर 'दिगम्बर जैन ' के ग्राहकोंको भेट दिये जा चुके हैं Sigaw १ - पतितोद्धारक जैन धर्म २ - संक्षिप्त : जैन इतिहास तृ० भाग, द्वितीय खंड ३ - पंचस्तोत्र संग्रह सटीक १1) १) 11=) और अब यह चौथा ग्रन्थ - भगवान कुन्दकुन्दाचार्य चरित्र प्रगट किया जाता है और यह भी 'दिगम्बर जैन ' मासिक पत्रके ३५ वें वर्षके ग्राहकोंको भेंट दिया जाता है । ऐसी ही अनेक ग्रन्थमालाऐं दि० जैन समाजमें स्थापित हों तो लुप्तप्रायः तथा नवीन दि० जैन साहित्यका बहुत कुछ उद्धार च विनामूल्य या अल्प मूल्यमें प्रचार हो सकेगा । मूलचन्द्र किसनदास कापड़िया, प्रकाशक -Page Navigation
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