Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह ( ३ )
दसे दसार में राम कन्हईयो,सकल रायां (राजन) सिरताज।दी.१। कुंवर साढा तीन कोड हैं संगी, देव कुवर समराज । दी०२। जादव जांनी खूब विराजै, सबल वण्यो छै जी साज । दी०३। शिवदेवी रुकमण सत्यभामा, सोल सहस गोपी गाज । दी०४। ताल कंसाल मृदङ्ग वजत है, नौबत गहिरी गाज । दी०५। केसरियो वर वींद विराजै, नेम कुमर महाराज । दी०६। जांन बधाई बात श्रवण सुणी, खुसी भए महाराज । दी०७। दीध बधाई हरष सवाई, उग्रसेन महारोज । दी०८। राजुल पिण भई है बहुराजी 'अमर' बधाई आज ।दी०६।
नेमि-राजुल-स्तवन
( राग-जंगलो भडाणो) [अम्बिले की डारी डारी कोइल बोलै कारी कारी । पापी पपईये मोहि आन सताई विरह की मारी॥
कोइल बोलै कारी कारी, अम्बिले की० । ए चाल ।] सांवरे से हारी हारी, तज गयो प्यारी प्यारी ।सां.त.१। नाह विहुणी मैं भई निरधारण, विरह ने मारंमारी।सां.त.२। प्रिय संग जब रस रंग रमँगी, हस देंगें तारी तारी। सां. त.३। अब हुं भी मेरो प्रीत मनायो, जाउँगी मै लारी । सां.त. ४ । सहसा वन जाय संयम ल्युगी, ममताकुँ मारी मारी । सां. त. ५। नेमि राजुल मिल मुगत सिधाए, 'अमरेस' वारी वारी । सां.त.६॥
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