Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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( ३६ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
श्री "चिंतामणि" सुखकर साहिब, ____ अचल रहै शिवराज मैं । सुणि। "मंबुई" बिंदर ठवणा मूरत,
दरस ताको लयो आज मैं । सुणि०।१। सुगुण साहिब को संग गहंता,
कोहि सुधारै काज मैं । सुणि।२। भव जल निध भय दूर मग्यो है,
जाणै बैठे जंगी जिहाज मैं । सुवि०॥३॥ पूरब पुन्य उदै मैं पायो,
महिर वान महाराज मैं। सुणि०।४। दास खास भव भव हुँ तेरो,
राज गरीव निवाज मैं । सुणि दरस सरस ए अविचल दौलत,
'अमर' कहै लही आज मैं । सुणि०६॥
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चिन्तामणिपार्श्व-स्तवन
(पुनः चाल पूरवली वसन्त) तु तो चिन्तामणि चित घर रे,
हुँ तो कहुँ रे (२) सुगुरु ने सीख दई। तुं तो.। प्रभुजी को समरण है सुखदाई,
अहि निशि यह ऊचर रे(२) हुँ तो। तु तो.।१॥
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