Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 174
________________ कुशल गुरु छंद ( १५६ ) गुरू गुण गावै गामो गाम, थटांणा धुंद तिणे ठांम ठाम ! अहो इल माभू न दूजौ देव, सुरिन्द मुणिंद करंत सु मेव ॥६०॥ पूजै गुरू पाय धरि बहु प्रेम, नेहै अल जात कर नित नेम । आसा तिहां पूरै श्री (गुरू) राय, दीयै सुखरास निवास सदाय ॥६१॥ सदी सकलाई साची जाण, जात्री मिल पावै राजा रांण । घणां ज्यारै घोड़ता रो घमसांण, पुणतां तास न होय प्रमाण ॥६२॥ प्रणम्मै पाय धरी दीय धोक, सदा सुख त्यांह न व्या शोक । प्रणम्मै पुनिम पुनिम पाय, लीला नै लच्छ मिले तियां आय॥६३॥ जपै जिण काज गुरू में जेह, तुरत्त मिलावे आणी तेह । न हैजे प्राय नमै नरनार, तिहां घर बाधै जय जयकार ॥६४॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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